Logo
Court Book - India Code App - Play Store

"देवभूमि में शर्मनाक घटना": उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रुड़की में विधायक और भाजपा नेता के झगड़े पर लिया संज्ञान

Shivam Y.
"देवभूमि में शर्मनाक घटना": उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रुड़की में विधायक और भाजपा नेता के झगड़े पर लिया संज्ञान

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रुड़की हिंसा पर जताई गंभीर चिंता

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 26 जनवरी को रुड़की में स्वतंत्र विधायक उमेश कुमार (खानपुर) और पूर्व भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीच हुई हिंसक झगड़े पर गंभीर रुख अपनाया है। इस घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक और चौंकाने वाला" बताते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाएं उत्तराखंड की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, जिसे "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है।

Read Also - छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सड़क पर जन्मदिन मनाने पर लगाई फटकार, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए सख्त कार्रवाई की मांग

न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की अगुवाई वाली पीठ ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को 11 फरवरी तक विस्तृत हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। इसमें वीडियो सबूत, एफआईआर की कॉपी, जांच की स्थिति और आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा शामिल होना चाहिए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि राजनीतिक नेताओं को जनता के विश्वास को बनाए रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा:

"राजनीतिक हस्तियों द्वारा की गई ऐसी हिंसक घटनाएं चौंकाने वाली और शर्मनाक हैं। ये घटनाएं असहनीय हैं और राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं।"

Read Also - "सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के दस्तावेज़ों में माँ का नाम जोड़ने की याचिका का निपटारा किया, अधिकांश राज्यों ने किए नियमों में बदलाव"

26 जनवरी को क्या हुआ था?

गणतंत्र दिवस के दिन, चैंपियन ने विधायक उमेश कुमार के खानपुर स्थित कार्यालय पर अपने समर्थकों के साथ पहुंचकर हथियार दिखाए और गोलीबारी की। आरोप है कि उन्होंने दिनदहाड़े लोगों पर हमला किया। कुमार ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए हथियार निकाल लिया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में चैंपियन और उनके समर्थकों को विधायक के घर पर गोलीबारी करते, गालियां देते और पत्थर फेंकते देखा जा सकता है। वीडियो में चैंपियन को विधायक के घर पर दोबारा गोली चलाते और कार में भागते हुए भी देखा गया।

Read Also - क्या विशेष NIA अदालत, जो MP/MLA अदालत के रूप में नामित है, अन्य आरोपियों के मामलों की सुनवाई कर सकती है?

पृष्ठभूमि

कोर्ट ने खुलासा किया कि दोनों व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में 19 आपराधिक मामले लंबित हैं। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने हलफनामे में सभी लंबित मामलों का ब्योरा दें और हरिद्वार में कानून व्यवस्था को सख्ती से बनाए रखें। निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए पीठ ने कहा:

"सांसदों और विधायकों में जनता का विश्वास लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए जरूरी है। ऐसा व्यवहार इस विश्वास के साथ विश्वासघात है।"

Read Also - पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों पर अवमाननापूर्ण याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया

चैंपियन को 2019 में भाजपा ने अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया था, लेकिन एक साल बाद उन्हें वापस शामिल कर लिया गया। इस घटना के संबंध में उन्हें गिरफ्तार भी किया जा चुका है।

11 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि अधिकारियों ने इस शर्मनाक घटना को लेकर कितनी गंभीरता से कदम उठाए हैं