केरल हाईकोर्ट ने बुधवार, 11 जून को कोझिकोड के एक 15 वर्षीय छात्र शाहबास की हत्या के मामले में शामिल छह नाबालिगों को ज़मानत प्रदान की। यह आदेश न्यायमूर्ति बेचू कूरियन थॉमस द्वारा पारित किया गया।
मामले में विस्तृत आदेश अभी प्रतीक्षित है।
यह मामला शाहबास की दुखद मृत्यु से संबंधित है, जो कथित रूप से ट्यूशन के सहपाठियों के हमले में मारा गया था। इससे पहले कोर्ट ने इन नाबालिग छात्रों की ज़मानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। लेकिन वर्तमान सुनवाई में कोर्ट ने ज़मानत मंजूर कर दी।
इन नाबालिगों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- धारा 103(1) – हत्या
- धारा 126(2) – अनुचित अवरोध
- धारा 189 – गैरकानूनी जमावड़ा
- धारा 191(2) और 191(3) – दंगा
- धारा 118(2) – स्वेच्छा से चोट या गंभीर चोट पहुंचाना
- धारा 190 – संबंधित अपराध
कोर्ट ने ज़मानत देते हुए किशोर न्याय अधिनियम को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
"किशोर न्याय अधिनियम नाबालिगों को ऑब्जर्वेशन होम में लंबे समय तक रखने की अनुमति नहीं देता," कोर्ट ने कहा।
यह ज़मानत याचिका जमानत आवेदन 6291/2025 और उससे जुड़े अन्य मामलों के तहत दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता के. एम. फिरोज और जैकब ई. साइमन ने पैरवी की।
राज्य की ओर से अधिवक्ता कोदोत श्रीधरन, के. पी. मुहम्मद आरिफ, अब्दुल जलील यू. के., चाकोचेन विथायथिल और वरिष्ठ लोक अभियोजक सी. के. सुरेश ने प्रस्तुतियाँ दीं।