एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम में, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की कथित अवैध हिरासत के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार और पुलिस महानिदेशक (DGP) से जवाब मांगा है। यह याचिका 19 मार्च 2025 को दायर की गई थी, जिसमें डल्लेवाल की रिहाई की मांग की गई थी, जिन्हें कथित तौर पर बिना किसी सूचना के हिरासत में लिया गया था।
नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति मनीषा बत्रा ने टिप्पणी की:
"यह याचिका शाम 6:45 बजे प्राप्त हुई है, जिसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट जारी करने की प्रार्थना की गई है, ताकि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को, जो प्रतिवादियों की अवैध हिरासत में हैं, रिहा किया जा सके।"
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यह याचिका किसान नेता गुरमुख सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि डल्लेवाल को केंद्रीय कृषि मंत्री के नेतृत्व में सरकार के साथ सातवें दौर की बातचीत के बाद लौटते समय अवैध रूप से हिरासत में लिया गया। डल्लेवाल 100 दिनों से अधिक समय से भूख हड़ताल पर थे।
हिरासत की घटना
याचिका के अनुसार, डल्लेवाल और उनके काफिले को मोहाली के जगतपुरा क्षेत्र में उस समय रोका गया, जब वे शंभू और खनौरी सीमा पर चल रहे किसान प्रदर्शन स्थल की ओर लौट रहे थे। आरोप है कि उन्हें और कई अन्य किसान नेताओं को बिना किसी आधिकारिक सूचना या स्पष्टीकरण के हिरासत में लिया गया। इस दौरान किसानों और पंजाब पुलिस के बीच टकराव भी हुआ।
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याचिका में आगे कहा गया:
"300 से 400 किसान संगठन के सदस्य भी लापता हैं।"
याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत किया जाए, और आवश्यकतानुसार अन्य राहत भी प्रदान की जाए।
अदालत ने 24 मार्च 2025 को इस मामले की अगली सुनवाई सूचीबद्ध की है।
यह याचिका एडवोकेट गुरमोहन प्रीत सिंह, अंगरेज सिंह और कंवरजीत सिंह द्वारा गुरमुख सिंह की ओर से दायर की गई थी।
शीर्षक: गुरमुख सिंह बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।