नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को वेदांता समूह कंपनियों के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका (PIL) में एक और मोड़ आया। न्यायमूर्ति पी.वी. संजय कुमार ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, यह कहते हुए कि वे अमेरिकी शॉर्ट-सेलर वाइसरोय रिसर्च एलएलसी द्वारा लगाए गए वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों वाले इस मामले की सुनवाई का हिस्सा नहीं होंगे। इस कदम के बाद अब मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा नए पीठ के गठन का इंतजार करना होगा।
पृष्ठभूमि
दिल्ली के याचिकाकर्ता शक्ति भाटिया ने यह PIL दायर की है, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय से जांच की मांग की गई है। भाटिया का आरोप है कि वेदांता लिमिटेड, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड ने शेयर कीमतों में हेराफेरी की और बाजार नियमों का उल्लंघन किया। उनकी याचिका का मुख्य आधार जुलाई 2025 की वाइसरोय रिसर्च की रिपोर्ट है, जो एक डेलावेयर-स्थित फर्म है और कॉरपोरेट घोटालों का पर्दाफाश करने के लिए जानी जाती है। याचिका के अनुसार, वाइसरोय ने अपनी खोजों को भारतीय नियामकों तक पहुंचाया था, लेकिन “अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।”
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यह मामला पहले भी प्रक्रियागत अड़चनों से गुजरा है। इससे पहले जब मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की पीठ के सामने सुनवाई हुई थी, तो न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन ने भी खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने बताया था कि उनका एसईबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाली लॉ फर्म से पेशेवर जुड़ाव रहा है।
अदालत की टिप्पणियां
जब मामला बुलाया गया, तो न्यायमूर्ति संजय कुमार ने संक्षिप्त रूप से कहा, “मैं इस याचिका को सुनने के इच्छुक नहीं हूं।” अपने सह-न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे ने तुरंत यह बयान दर्ज करते हुए कहा, “पीठ ने निर्देश दिया, ‘यह मामला माननीय मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार शामिल न हों।’”
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घोषणा के बाद अदालत कक्ष में शांति छा गई। याचिकाकर्ता के वकीलों ने सिर हिलाकर संकेत दिया कि अब नए रोस्टर का इंतजार किया जाएगा। एसईबीआई और अन्य सरकारी पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों ने कोई आपत्ति नहीं जताई और प्रशासनिक निर्देश से सहमति जताई।
निर्णय
संक्षिप्त आदेश में पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले की फाइल मुख्य न्यायाधीश के समक्ष नए सिरे से आवंटन के लिए रखी जाए। कोई समयसीमा तय नहीं की गई, लेकिन अब नया पीठ तय होने के बाद ही सुनवाई आगे बढ़ेगी। दो जजों के अब तक अलग होने के बाद याचिकाकर्ता को वास्तविक सुनवाई के लिए और इंतजार करना होगा।
मामला: शक्ति भाटिया बनाम भारत संघ एवं अन्य - वेदांता धोखाधड़ी आरोप जनहित याचिका
मामला संख्या: W.P.(C) संख्या 832/2025
याचिकाकर्ता: शक्ति भाटिया
प्रतिवादी: भारत संघ, सेबी, आरबीआई, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, वेदांता समूह की संस्थाएँ