आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने अवैध स्पीड ब्रेकरों को हटाने का आदेश दिया, भारतीय सड़क कांग्रेस मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने का निर्देश दिया

By Shivam Y. • August 19, 2025

थंडव योगेश बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य - आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सड़क कांग्रेस के दिशानिर्देशों का अनुपालन करने का निर्देश देते हुए अवैध स्पीड ब्रेकरों को हटाने और सुधारने का आदेश दिया।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य प्राधिकरणों को आदेश दिया है कि सभी अवैध और खराब स्पीड ब्रेकर को हाईवे और ज़िला सड़कों से हटाया जाए या उन्हें सही मानकों के अनुसार ठीक किया जाए। यह मामला मुख्य न्यायाधीश धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रवि चीमलापाटी की खंडपीठ के समक्ष रिट याचिका (जनहित याचिका) संख्या 76/2025 में आया, जिसे थंडावा योगेश ने स्वयं प्रस्तुत होकर दाखिल किया था।

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याचिकाकर्ता ने दलील दी कि आंध्र प्रदेश में कई स्पीड ब्रेकर भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं बनाए गए हैं। पुराने दिशा-निर्देशों के अनुसार स्पीड ब्रेकर की चौड़ाई 3.7 मीटर, ऊंचाई 10 सेंटीमीटर और त्रिज्या 17 मीटर होनी चाहिए। उनका कहना था कि इन नियमों का पालन न होने से जनता को परेशानी हो रही है और दुर्घटनाएं भी हो रही हैं।

राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी अधिवक्ता श्रीमती एस. प्रणथि ने अदालत को बताया कि IRC ने हाल ही में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें रिकॉर्ड में प्रस्तुत किया जाएगा।

अदालत ने अपने आदेश में कहा:

"25 फरवरी 2025 को मुख्य अभियंता (R & B), एसएच एवं प्रबंध निदेशक, APRDC, विजयवाड़ा ने पहले ही एक ज्ञापन जारी किया था, जिसमें सभी अभियंताओं को अवैध स्पीड ब्रेकर की पहचान करने और उन्हें हटाने या IRC मानकों के अनुसार ठीक करने के निर्देश दिए गए थे।"

अदालत ने आगे कहा कि यदि IRC या केंद्र सरकार की ओर से कोई नया दिशा-निर्देश जारी किया गया है, तो उसका पालन पूरी तरह किया जाना चाहिए। साथ ही, सभी संबंधित विभागों को एक नया परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौजूदा स्पीड ब्रेकर भी संशोधित होकर नए मानकों के अनुरूप हों।

इस जनहित याचिका को निरस्त कर दिया गया और किसी प्रकार की लागत नहीं लगाई गई। सभी लंबित अर्जियां भी बंद कर दी गईं।

केस का शीर्षक: थंडाव योगेश बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य

केस संख्या: रिट याचिका (पीआईएल) संख्या 76/2025

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