31 जुलाई 2025 को आए एक हालिया फ़ैसले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A, 406, और 34 के तहत दर्ज FIR को रद्द कर दिया, क्योंकि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच आपसी समझौता हो गया था।
इस मामले का नाम CRL.M.C. 2908/2025 है, जिसमें मलकीत सिंह @ मनी @ मैननी सिंह और अन्य याचिकाकर्ता थे। उन्होंने PS तिलक नगर में दर्ज FIR संख्या 178/2017 को रद्द करने की याचिका दी थी, यह कहते हुए कि शिकायतकर्ता (प्रतिवादी संख्या 2) के साथ सभी विवाद सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिए गए हैं।
पृष्ठभूमि
शुरुआत में शिकायतकर्ता ने IPC की धारा 498A (पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 34 (सामूहिक मंशा) के तहत FIR दर्ज कराई थी। लेकिन बाद में दोनों पक्षों ने आपसी मतभेदों को सुलझा लिया और दोबारा साथ रहने का निर्णय लिया।
“मैंने कोर्ट में मौजूद याचिकाकर्ता संख्या 1 और प्रतिवादी संख्या 2 से फिर से बात की है, और उन्होंने बताया कि अब वे अपने सभी विवाद सुलझाकर साथ रह रहे हैं और उनकी एक 4 साल की बेटी भी है।”— न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया
इसके साथ ही शिकायतकर्ता (प्रतिवादी संख्या 2) ने कोर्ट को बताया कि वह अब याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाना चाहती।
माननीय न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने दोनों पक्षों से बातचीत और उनकी वर्तमान स्थिति की पुष्टि करने के बाद कहा कि यदि उन्हें मुकदमे की प्रक्रिया से गुजरने पर मजबूर किया गया, तो यह उनकी सुलझी हुई पारिवारिक स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है।
“पक्षों से बातचीत करने के बाद, मुझे संतुष्टि है कि उन्हें मुकदमे से गुजरने के लिए मजबूर करना न्याय के हित में नहीं होगा।— न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया
आपसी समझौते और दंपत्ति की 4 वर्षीय बेटी के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली।
इसलिए, FIR संख्या 178/2017 और इससे संबंधित सभी कानूनी कार्यवाहियों को आधिकारिक रूप से रद्द कर दिया गया।
केस का शीर्षक: मलकीत सिंह @ मनी @ मन्नी सिंह एवं अन्य बनाम दिल्ली राज्य सरकार एवं अन्य
केस संख्या: सीआरएल.एम.सी. 2908/2025
निर्णय तिथि: 31 जुलाई 2025