जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट: हथियार लाइसेंस प्राधिकरण को इनकार करने से पहले पुलिस रिपोर्ट लेनी होगी, भले ही एफआईआर दर्ज हों

By Vivek G. • April 22, 2025

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि हथियार लाइसेंस जारी करने वाले प्राधिकरण को लाइसेंस के नवीनीकरण से पहले संबंधित पुलिस थाने से रिपोर्ट मंगवानी होगी और जांच करनी होगी, भले ही आवेदक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हों।

जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि आर्म्स एक्ट के तहत तय प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि हथियार लाइसेंस का नवीनीकरण नकारने से पहले प्राधिकरण को पुलिस से सत्यापन रिपोर्ट मंगवानी और आवश्यक जांच करनी होगी, भले ही आवेदक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हों।

“यह संबंधित पुलिस से रिपोर्ट प्राप्त करने की जिम्मेदारी प्राधिकरण की है, न कि आवेदक की।” — न्यायमूर्ति संजय धर

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यह आदेश कुलदीप शर्मा की याचिका पर आया, जिनका हथियार लाइसेंस 1996 से वैध था और दिसंबर 2019 तक समय-समय पर नवीनीकरण होता रहा। उन्होंने नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था और स्थानीय सरपंच से चरित्र प्रमाणपत्र भी संलग्न किया था, लेकिन उधमपुर के अतिरिक्त उपायुक्त ने कई एफआईआर, जिनमें एक आर्म्स एक्ट के तहत थी, का हवाला देकर आवेदन लंबित रखा।

हाई कोर्ट ने पाया कि प्राधिकरण ने आर्म्स एक्ट की धारा 13, 14 और 15 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। कोर्ट ने दोहराया कि:

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“नवीनीकरण के समय वही प्रक्रिया अपनानी होगी जो एक नए लाइसेंस जारी करने के समय की जाती है, जिसमें पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करना और औपचारिक जांच शामिल है।” — न्यायमूर्ति संजय धर

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आवेदक की जिम्मेदारी नहीं थी कि वह पुलिस से प्रमाणपत्र प्राप्त करे। यह काम लाइसेंस जारी करने वाले प्राधिकरण का होता है।

  • धारा 13: आवेदन प्राप्त होने पर पुलिस रिपोर्ट मंगवाना और जांच करना अनिवार्य।
  • धारा 14: किन स्थितियों में लाइसेंस नकारा जा सकता है, यह निर्धारित करती है।
  • धारा 15(3): लाइसेंस उसी प्रक्रिया के तहत नवीनीकरण किया जाना चाहिए, जैसे पहली बार जारी किया गया हो। नवीनीकरण नकारने के लिए लिखित कारण आवश्यक हैं।

कोर्ट ने कहा कि न तो पुलिस रिपोर्ट मंगवाई गई और न ही लिखित कारण दिए गए। यह कानून के अनुसार स्वीकार्य नहीं है।

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“बिना प्रक्रिया अपनाए आवेदन को अनिश्चितकाल के लिए लंबित नहीं रखा जा सकता।” — न्यायमूर्ति संजय धर

कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वे आर्म्स एक्ट के अध्याय III और संबंधित नियमों के तहत प्रक्रिया पूरी कर दो महीने के भीतर निर्णय लें, जबसे आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त हो।

यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि प्रशासकीय फैसलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है और आवेदकों को अधिकारियों की लापरवाही के कारण नुकसान न उठाना पड़े।

उपस्थिति जगपाल सिंह, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता

नाजिया फजल, अधिवक्ता, सुश्री मोनिका कोहली, प्रतिवादियों के लिए वरिष्ठ एएजी

केस-शीर्षक:- कुलदीप शर्मा बनाम यूटी ऑफ जेएंडके और अन्य 2025

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