गोवा बाल शोषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक किया बरी, प्रोबेशन पर रिहाई का दिया आदेश

By Vivek G. • August 27, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा बाल शोषण मामले में संतोष सहदेव खजनेकर को आंशिक रूप से बरी किया, गोवा बाल अधिनियम और आईपीसी धारा 504 की दोषसिद्धि रद्द की, प्रोबेशन पर रिहाई का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने संतोष सहदेव खजनेकर की अपील आंशिक रूप से स्वीकार कर ली है। उन्हें पहले गोवा बाल अधिनियम, 2003 सहित कई धाराओं में दोषी ठहराया गया था। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 26 अगस्त 2025 को फैसला सुनाते हुए निचली अदालत और बॉम्बे हाईकोर्ट, गोवा के आदेश में बदलाव किया।

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मामले की पृष्ठभूमि

साल 2013 में गोवा के बारदेज़, तिवीम स्थित सेंट ऐन स्कूल में हुई घटना के बाद आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। आरोप था कि उसने अपने बेटे के स्कूल बैग से एक बच्चे को मारा। 2017 में बच्चों की अदालत ने उसे आईपीसी की धारा 323, 352, 504 और गोवा बाल अधिनियम की धारा 8(2) में दोषी ठहराते हुए सजा और जुर्माना दिया।

2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट, गोवा ने सजा कम कर दी लेकिन सभी धाराओं में दोषसिद्धि बरकरार रखी। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि यह कृत्य जानबूझकर नहीं किया गया था और इसे गोवा बाल अधिनियम की धारा 8 के तहत “बाल शोषण” नहीं माना जा सकता। उनका कहना था कि झगड़े के दौरान अपने बेटे के स्कूल बैग से बच्चे को मारना महज एक संयोग था। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि आरोपी मज़दूर है और परिवार का एकमात्र कमाने वाला है, इसलिए उसे परिवीक्षा अधिनियम, 1958 (Probation of Offenders Act) का लाभ मिलना चाहिए।

राज्य की ओर से कहा गया कि बाल शोषण गंभीर नैतिक अपराध है और गोवा बाल अधिनियम ऐसे मामलों को रोकने के लिए बनाया गया है। दोनों निचली अदालतों ने उसे दोषी पाया है, इसलिए और ढील देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों की समीक्षा की और कहा:

“स्कूल बैग से एक साधारण चोट, बिना किसी जानबूझकर या लगातार दुर्व्यवहार के सबूत के, बाल शोषण की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करती।”

पीठ ने माना कि गोवा बाल अधिनियम की धारा 8 छोटे या एकाकी घटनाओं पर लागू नहीं हो सकती। साथ ही, धारा 504 आईपीसी के तहत दोषसिद्धि भी अस्थिर है क्योंकि आरोपी का मकसद शांति भंग करने का नहीं था।

हालांकि, अदालत ने धारा 323, 352 आईपीसी के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने संतोष सहदेव खजनेकर को गोवा बाल अधिनियम, 2003 की धारा 8(2) और आईपीसी की धारा 504 के आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने आदेश दिया कि उन्हें परिवीक्षा अधिनियम के तहत प्रोबेशन पर रिहा किया जाए। इसके लिए उन्हें तीन महीने के भीतर निचली अदालत में शांति और अच्छे आचरण के बांड भरने होंगे, जो एक साल तक लागू रहेंगे।

इस तरह अपील आंशिक रूप से स्वीकार की गई।

मामला: संतोष सहदेव खजनेकर बनाम गोवा राज्य

मामला संख्या: आपराधिक अपील संख्या(एँ) 1991/2023

निर्णय तिथि: 26 अगस्त 2025

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