केरल फिल्म प्रदर्शकों पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी कार्रवाइयों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना बरकरार रखा

By Vivek G. • September 27, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने केरल फिल्म एग्जिबिटर्स फेडरेशन और उसके नेताओं पर फिल्म बहिष्कार के लिए लगाए गए जुर्माने को बहाल कर CCI की ताकत को मजबूत किया।

नई दिल्ली, 27 सितंबर 2025 - भारत के मनोरंजन क्षेत्र में गूंज पैदा करने वाले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल फिल्म एग्जिबिटर्स फेडरेशन (KFEF) पर लगाए गए जुर्माने को बहाल कर दिया। जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना कि प्रतियोगिता आयोग (CCI) ने ट्रेड बॉडी और इसके दो शीर्ष पदाधिकारियों पर जुर्माना लगाते समय सही प्रक्रिया का पालन किया था।

Read in English

पृष्ठभूमि

विवाद तब शुरू हुआ जब कोझिकोड के क्राउन थिएटर ने शिकायत की कि KFEF ने उन वितरकों को धमकाया जो थिएटर को फिल्में उपलब्ध करा रहे थे। शिकायत के अनुसार, फेडरेशन के अध्यक्ष पी.वी. बशीर अहमद और महासचिव एम.सी. बॉबी ने वितरकों से कहा कि क्राउन में दिखाई जाने वाली किसी भी फिल्म का राज्यभर के सदस्य सिनेमाघरों में बहिष्कार किया जाएगा।

Read also: सुप्रीम कोर्ट ने ₹6 करोड़ ज़मीन धोखाधड़ी मामले में दिल्ली दंपती की ज़मानत रद्द कर फिर से हिरासत का आदेश दिया

CCI के महानिदेशक की जांच में बयान और फोन रिकॉर्ड सामने आए, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि एक सामूहिक बहिष्कार की योजना बनाई गई थी। आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि यह सामूहिक कार्रवाई प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन है, जो निष्पक्ष व्यापार को रोकने वाले समझौतों पर प्रतिबंध लगाती है।

न्यायालय के अवलोकन

न्यायाधीशों ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि क्या KFEF के नेताओं को जुर्माना लगाने से पहले पर्याप्त नोटिस दिया गया था। उनके वकील का तर्क था कि दंड के लिए अलग से “शो कॉज” नोटिस आवश्यक था।

Read also: गोवा चेक बाउंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि बहाल की, देरी रोकने के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश जारी

इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि 2015 में CCI द्वारा भेजे गए नोटिस में दोनों व्यक्तियों के नाम स्पष्ट रूप से दिए गए थे, जांच रिपोर्ट संलग्न थी और आय विवरण व मौखिक सुनवाई की तारीख भी मांगी गई थी। पीठ ने कहा, “10 जून 2015 का नोटिस कानूनी आवश्यकता को पूरा करता है और जवाब देने का स्पष्ट अवसर देता है।”

निर्णय में यह भी रेखांकित किया गया कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण को जड़ से रोकना है, जबकि पुराना MRTP कानून केवल ‘सीज एंड डेसिस्ट’ आदेश देता था। कोर्ट ने स्पष्ट किया, “बिना संशोधित कानून के तहत जिम्मेदारी और दंड दोनों के लिए एक ही सुनवाई पर्याप्त है।”

निर्णय

CCI की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन और उसके दो नेताओं पर औसत आय के 10% का जुर्माना बहाल किया, साथ ही दो साल तक संगठन के प्रबंधन से उन्हें दूर रखने का आदेश दिया। यह राशि आदेश प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर जमा करनी होगी।

इसके साथ ही, प्रतियोगिता अपीलीय न्यायाधिकरण का वह पूर्व निर्णय, जिसने व्यक्तिगत जुर्माने को हटाया था, रद्द हो गया। यह फैसला देशभर के ट्रेड एसोसिएशनों के लिए सख्त संदेश है: प्रतिस्पर्धा को रोकने वाले सामूहिक बहिष्कार पर तेज और व्यक्तिगत कार्रवाई होगी।

मामले का शीर्षक: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग बनाम केरल फिल्म प्रदर्शक संघ एवं अन्य

उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1167

निर्णय तिथि: 27 सितंबर 2025

Recommended