Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों को MIDC द्वारा भूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की

Prince V.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने Bhrastachar Nirmoolan Sangathana बनाम State of Maharashtra मामले में PIL खारिज की, जिसमें MIDC द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को रियायती दरों पर भूमि आवंटन को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि आवंटन वैध नियमों और नीतियों के अनुसार हुआ है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों को MIDC द्वारा भूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने Bhrastachar Nirmoolan Sangathana द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है, जिसमें महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) द्वारा शैक्षणिक संस्थानों और ट्रस्टों को भूमि आवंटन को चुनौती दी गई थी। अदालत ने माना कि यह आवंटन वैध नियमों और नीतियों के तहत किया गया है और आवंटित भूमि का उपयोग शिक्षा के विकास के उद्देश्य से किया जा रहा है।

Read In English

याचिकाकर्ता के आरोप

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि MIDC ने भूमि का आवंटन रियायती दरों पर और बिना सार्वजनिक नीलामी के राजनीतिक रूप से जुड़े संस्थानों को कर दिया। उनके अनुसार, औद्योगिक विकास के लिए आरक्षित सार्वजनिक भूमि को निजी लाभ के लिए मोड़ दिया गया। यह भी तर्क दिया गया कि बिना टेंडर प्रक्रिया या सार्वजनिक नोटिस जारी किए आवंटन करना निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है और इससे अन्य योग्य संस्थानों को अवसर से वंचित किया गया।

MIDC ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि आवंटन महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन डिस्पोज़ल ऑफ लैंड रेग्युलेशन्स, 1975 के अनुसार किया गया। इन नियमों के तहत निगम को यह अधिकार है कि वह भूमि का आवंटन सार्वजनिक नीलामी से या सीधे आवेदन स्वीकार कर भी कर सकता है। MIDC ने स्पष्ट किया कि औद्योगिक क्षेत्रों की 5% भूमि स्कूल, कॉलेज और प्रशिक्षण केंद्र जैसी सुविधाओं के लिए आरक्षित है और शैक्षणिक संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए रियायती दरें बोर्ड प्रस्तावों द्वारा तय की गई हैं।

मुख्य न्यायाधीश अलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने MIDC के नियमों और रियायती दरों से जुड़े बोर्ड प्रस्तावों की वैधता को चुनौती ही नहीं दी।

अदालत ने कहा:
“एक बार जब MIDC की सीधे आवेदन स्वीकार कर आवंटन करने की शक्ति को चुनौती नहीं दी जाती, तो शैक्षणिक संस्थानों को भूमि आवंटन के परिणाम पर आपत्ति नहीं की जा सकती, जब तक कि वह आवंटन मनमाना सिद्ध न हो।”

अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि आवंटित भूमि पर पहले से ही स्कूल, कॉलेज और अस्पताल स्थापित हो चुके हैं, जिनसे हजारों छात्रों को लाभ मिल रहा है।

अदालत ने PIL खारिज करते हुए कहा कि आवंटन न तो अवैध है और न ही मनमाना। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में MIDC को भूमि के दुरुपयोग का कोई मामला मिलता है, तो संबंधित संस्थान पर कार्रवाई करनी होगी।

मामला : Bhrastachar Nirmoolan Sangathana बनाम State of Maharashtra & Ors.


केस नंबर : PIL No. 155 of 2006 with Civil Application No. 41 of 2012


Advertisment

Recommended Posts