जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में पंचायत सचिव अनिल कुमार शर्मा द्वारा दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनके तबादले के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने ग्राम पंचायत बैरिहा से ग्राम पंचायत गाड़ा में उनके स्थानांतरण का विरोध किया था, यह तर्क देते हुए कि यह राज्य की ट्रांसफर पॉलिसी के क्लॉज 26 का उल्लंघन करता है और उनकी दिव्यांगता को नजरअंदाज करता है। हालांकि, अदालत ने राज्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रशासनिक आवश्यकता पर जोर दिया।
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मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता को पहली बार 17 जून, 2025 को स्थानांतरित किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने एक पहले रिट याचिका (W.P. नंबर 23002/2025) दायर की थी। अदालत ने 9 जुलाई, 2025 को उस याचिका का निपटारा करते हुए अधिकारियों को उनके प्रतिनिधित्व की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। 28 जुलाई, 2025 को उनके प्रतिनिधित्व को खारिज कर दिया गया, जिसके बाद वर्तमान याचिका दायर की गई। शर्मा ने तर्क दिया कि उनका तबादला ट्रांसफर पॉलिसी के क्लॉज 26 की अनदेखी करता है, जो दिव्यांगता संबंधी विचारों को संबोधित करता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अधिक समय तक एक ही स्थान पर तैनात अन्य पंचायत सचिवों का तबादला नहीं किया गया, जो पक्षपातपूर्ण व्यवहार का संकेत देता है।
न्यायमूर्ति मनींदर S. भट्टी ने कहा कि शर्मा के प्रतिनिधित्व को खारिज करते हुए अधिकारियों ने एक "स्पष्ट और तर्कसंगत आदेश" पारित किया था। अदालत ने जोर देकर कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी का क्लॉज 26 अनिवार्य नहीं है और यह कर्मचारियों को दिव्यांगता के आधार पर किसी विशेष पदस्थापना की मांग करने का अधिकार नहीं देता।
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"याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व प्रतिवादी/अधिकारियों द्वारा एक स्पष्ट और तर्कसंगत आदेश के माध्यम से विचार किया गया है... जो प्रशासनिक आवश्यकता के तहत जारी किया गया था," अदालत ने कहा।
न्यायाधीश ने आगे कहा कि तबादला प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर उचित था, जो व्यक्तिगत दावों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्षपात के तर्क को खारिज कर दिया, क्योंकि तबादले विवेकाधीन होते हैं और संदर्भ-विशिष्ट होते हैं।
मामले का शीर्षक: अनिल कुमार शर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य
मामला संख्या: रिट याचिका संख्या 31471 सन् 2025