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कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस की अस्वीकृति रद्द की, 54 साल पुराने पारिवारिक स्वामित्व ट्रांसफर प्रयास पर पायलट के लिए हथियार लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया

Vivek G.

माइकल महेश क्रिस सलदान्हा बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य, कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस की अस्वीकृति रद्द कर पायलट को हथियार लाइसेंस ट्रांसफर का आदेश दिया, Rule 25 में जीवन-खतरे की आवश्यकता नहीं मानी।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस की अस्वीकृति रद्द की, 54 साल पुराने पारिवारिक स्वामित्व ट्रांसफर प्रयास पर पायलट के लिए हथियार लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया

बेंगलुरु, 10 नवंबर - आज कोर्ट हॉल में एक शांत लेकिन महत्वपूर्ण सुनवाई देखने को मिली, जब कर्नाटक हाई कोर्ट ने यह जांचा कि मैंगलुरु के एक पायलट को वह हथियार लाइसेंस बार-बार क्यों नकारा गया, जो Rule 25 के तहत साधारण पारिवारिक ट्रांसफर होना चाहिए था। न्यायमूर्ति सुराज गोविंदराज ने दोनों पक्षों की दलीलें धैर्य से सुनीं। सुनवाई के दौरान माहौल कई बार बदला, खासकर जब न्यायाधीश ने पुलिस की कानून की व्याख्या पर सवाल उठाए।

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Background (पृष्ठभूमि)

याचिकाकर्ता, माइकल महेश क्रिस साल्दान्हा, 41 वर्षीय कमांडर/पायलट, ने हाई कोर्ट का रुख किया था ताकि मैंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर द्वारा जारी एक एंडोर्समेंट को रद्द कराया जा सके। उनके पिता, अब 75 वर्ष के, 1971 से .32 कैलिबर रिवॉल्वर का वैध लाइसेंस रखते हैं-यानी 54 वर्षों से अधिक। Rule 25 के अनुसार, लंबे समय से हथियार रखने वाले या 70 वर्ष पार कर चुके लाइसेंसधारक अपने कानूनी उत्तराधिकारी को लाइसेंस नामांकित कर सकते हैं।

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इसके बावजूद, अधिकारियों ने साल्दान्हा के आवेदन को दो बार यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने “जीवन के लिए खतरा” सिद्ध नहीं किया है। अपीलीय प्राधिकारी पहले ही इस अस्वीकृति को रद्द कर चुका था, लेकिन फिर भी नया एंडोर्समेंट उसी तर्क के साथ जारी कर दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि Rule 25 के तहत ऐसा ट्रांसफर करते समय "लाइफ थ्रेट" का सवाल उठाना न सिर्फ गलत बल्कि पूरी तरह अप्रासंगिक है।

Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)

न्यायमूर्ति गोविंदराज ने सीधे मुख्य मुद्दे पर प्रश्न उठाया: क्या सच में Rule 25 के तहत पारिवारिक लाइसेंस ट्रांसफर में जीवन-खतरे का प्रमाण आवश्यक है?

अदालत में नियम को पढ़ते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि Rule 25 दो स्थितियों में लागू होता है:

  • लाइसेंसधारी की मृत्यु के बाद, और
  • जब लाइसेंसधारी जीवित हो, लेकिन 70 वर्ष से अधिक हो चुका हो या 25 वर्ष से अधिक समय से हथियार रख रहा हो।

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न्यायाधीश ने नोट किया कि यह मामला दोनों शर्तों को पूरा करता है। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, “जब Rule 25 के तहत लाइसेंसधारी के जीवनकाल में आवेदन किया जाता है… तो उत्तराधिकारी को जीवन के लिए खतरे का कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लागू होने वाली केवल दो शर्तें हैं-कानूनी पात्रता और पुलिस रिपोर्ट में कोई प्रतिकूल टिप्पणी न होना। इनमें से कोई भी मुद्दा विवादित नहीं था। अदालत ने टिप्पणी की कि पुलिस द्वारा बार-बार 'लाइफ थ्रेट' की मांग, नियम की भाषा के खिलाफ दिखाई देती है।

Decision (निर्णय)

हाई कोर्ट ने पाया कि पुलिस का 24.07.2025 का एंडोर्समेंट “Rule 25 के विरुद्ध” है, इसलिए उसे रद्द कर दिया गया। साथ ही कोर्ट ने मैंडमस जारी करते हुए निर्देश दिया कि अधिकारी Rule 25(1)(b) के अनुसार आवेदन को प्रोसेस करें और चार सप्ताह के भीतर हथियार लाइसेंस जारी करें।

इसी के साथ अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।

Case Title: Michael Mahesh Chris Saldanha vs State of Karnataka & Others (Arms Licence Transfer under Rule 25)

Court: High Court of Karnataka, Bengaluru.

Judge: Justice Suraj Govindaraj.

Case Type: Writ Petition (GM-Police).

Petitioner: Michael Mahesh Chris Saldanha, 41-year-old pilot.

Respondents:

  • State of Karnataka
  • Additional Chief Secretary (Arms Act Appellate Authority)
  • Commissioner of Police, Mangaluru

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