केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि जीएसटी अधिनियम की धारा 130 के तहत जब्त किए गए सामानों को, यदि उनकी नीलामी अभी नहीं हुई है, तो अपील लंबित होने के दौरान भी जारी किया जा सकता है।
यह फैसला जस्टिस ज़ियाद रहमान ए.ए. की एकल पीठ ने दिया, जिन्होंने निखिल अय्यप्पन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने प्रवर्तन अधिकारी (दूसरे प्रतिवादी) द्वारा पारित जब्ती आदेश को चुनौती दी थी और जब्त किए गए माल और वाहन की तत्काल रिहाई की मांग की थी।
"चूंकि माल की अभी तक बिक्री नहीं हुई है, इसलिए याचिकाकर्ता को जुर्माने के भुगतान द्वारा जब्त माल को रिलीज़ कराने का विकल्प देने से इनकार करने का कोई कारण नहीं दिखता।" — जस्टिस ज़ियाद रहमान ए.ए.
मामला तब शुरू हुआ जब याचिकाकर्ता ने स्क्रैप सामग्री एक वाहन (पंजीकरण संख्या KL-52Q 8144) के माध्यम से भेजी, जिसे 9 अक्टूबर 2024 को पालक्काड जिले के कुनाथारा में प्रवर्तन अधिकारी द्वारा रोका गया। अनियमितताएं पाए जाने पर जीएसटी अधिनियम की धारा 130 के तहत कार्रवाई शुरू की गई और अंततः एक जब्ती आदेश (प्रदर्श-पी8) पारित किया गया, जिसमें सीजीएसटी और केएसजीएसटी के तहत ₹10,82,539/- प्रत्येक का जुर्माना लगाया गया।
इस आदेश में यह भी कहा गया था कि याचिकाकर्ता तीन माह के भीतर जुर्माना व दंड राशि का भुगतान कर माल को वापस प्राप्त कर सकता है। याचिकाकर्ता ने अपील दायर की, लेकिन इस बीच उसे एक नोटिस मिला जिसमें कहा गया कि यदि वह स्थगन आदेश प्रस्तुत नहीं करता, तो वाहन की नीलामी कर दी जाएगी।
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विभाग की दलील थी कि अधिनियम की धारा 130(2) और 130(7) में ही जब्त सामान को छोड़ने की प्रक्रिया का उल्लेख है और तीन महीने की समयसीमा दी गई है। हालांकि, यह भी स्वीकार किया गया कि अब तक सामान की नीलामी नहीं की गई है।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया और कहा कि राज्य को इससे कोई नुकसान नहीं होगा तथा याचिकाकर्ता को जुर्माना अदा कर माल छुड़ाने का अवसर दिया जाना चाहिए।
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"ऐसा करना राज्य को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाएगा।" — केरल हाईकोर्ट
अतः न्यायालय ने दूसरे प्रतिवादी को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता एक महीने के भीतर जुर्माना अदा करता है तो जब्त माल तुरंत उसे सौंप दिया जाए।
मामले का शीर्षक: निखिल अय्यप्पन बनाम केरल राज्य
मामला संख्या: WP(C) No. 19789 of 2025
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता: सलीम वी.एस., के. मुहम्मद थॉइब, ए.एम. फौसी, ए.बी. अजीम
प्रतिवादी के अधिवक्ता: मुहम्मद रफीक, वरिष्ठ सरकारी वकील