Logo
Court Book - India Code App - Play Store

फॉरेंसिक लैब में रिक्तियों के कारण एनडीपीएस मामलों में देरी पर केरल हाईकोर्ट ने जताई चिंता; एर्नाकुलम पुलिस आयुक्त से कार्य योजना मांगी

Shivam Y.
फॉरेंसिक लैब में रिक्तियों के कारण एनडीपीएस मामलों में देरी पर केरल हाईकोर्ट ने जताई चिंता; एर्नाकुलम पुलिस आयुक्त से कार्य योजना मांगी

3 जुलाई 2025 को केरल हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत लंबित आपराधिक मामलों में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने इसके लिए राज्य की फॉरेंसिक साइंस लैब्स (एफएसएल) में वैज्ञानिक अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के रिक्त पदों को जिम्मेदार ठहराया। मुख्य न्यायाधीश नितिन जमदार और न्यायमूर्ति सी. जयचंद्रन की विशेष पीठ ने कहा कि इन पदों की भर्ती में देरी के कारण नशीली दवाओं से संबंधित मामलों में न्याय बाधित हो रहा है।

Read in English

यह टिप्पणी कोर्ट ने केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (KeLSA) और एक माँ द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की। माँ ने एर्नाकुलम के स्कूल और कॉलेज छात्रों में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति को लेकर चिंता जताई थी।

“यदि बढ़ते नशा सेवन की समस्या को नियंत्रित करना है, तो दंडात्मक उपायों को भी मजबूत करना होगा,”
– केरल हाईकोर्ट

Read also:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि मामले में शाही ईदगाह मस्जिद को 'विवादित' करार देने से किया इनकार

कोर्ट ने एर्नाकुलम सिटी के पुलिस आयुक्त को अगली सुनवाई (23 जुलाई) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर छात्रों में नशा सेवन रोकने के लिए बनाई गई कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता माँ ने कहा कि उन्होंने खुद भी कुछ आंकड़े एकत्र किए हैं, जो वे पुलिस के साथ साझा करेंगी।

इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह पिछले 5 से 10 वर्षों में दर्ज नशीली दवाओं से जुड़े मामलों का सांख्यिकीय डेटा, उसमें दिख रहे रुझान, प्रभावित आयु वर्ग और क्षेत्रीय विवरण के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करे। हालांकि, गृह विभाग के उप सचिव द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में केवल बच्चों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या बताई गई, जिसमें सबसे अधिक 53 मामले एर्नाकुलम सिटी में वर्ष 2015 से 2024 के बीच दर्ज किए गए। कोर्ट ने इस पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि केवल आंकड़े पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि उसमें रुझान और विश्लेषण भी जरूरी है।

Read also:- दिल्ली उच्च न्यायालय ने एम्स के रुख का समर्थन किया, बाल कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए नाबालिग बलात्कार पीड़िता के गर्भपात के आदेश में संशोधन किया

"क्षेत्रीय प्रवृत्तियों और कारणों की पहचान के लिए केंद्रित अध्ययन की आवश्यकता है; तभी प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं,"
– केरल हाईकोर्ट

इस मामले को W.P.(C) No. 16773 of 2020 के साथ जोड़ा गया है, जिसमें विशेष लोक अभियोजकों और फॉरेंसिक स्टाफ की नियुक्तियों में देरी का मुद्दा उठाया गया था, विशेषकर POCSO अधिनियम के मामलों में। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजकों की नियुक्तियों में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन एफएसएल स्टाफ की कमी अभी भी न्याय प्रणाली में बाधा बनी हुई है, खासकर एनडीपीएस मामलों में।

Read also:- केरल उच्च न्यायालय: सीमा शुल्क विभाग को धारा 28(8) के तहत अनिवार्य व्यक्तिगत सुनवाई की पेशकश करनी चाहिए, इससे बचने के लिए धारा 122ए का हवाला नहीं दिया जा सकता

केरल लोक सेवा आयोग ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि उसने समय पर कदम उठाए हैं और आगे की कार्रवाई राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। जबकि राज्य सरकार का मत भिन्न है। कोर्ट ने इन मतभेदों में नहीं पड़ते हुए दोनों संस्थाओं को संयुक्त बैठक कर रणनीति बनाने और प्रक्रिया में देरी को कम करने का निर्देश दिया।

साथ ही, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (जिला न्यायपालिका) को राज्य में एनडीपीएस मामलों की लंबित स्थिति पर एक रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह रिपोर्ट राज्य के सरकारी अधिवक्ता और लोक सेवा आयोग के वकील को भी साझा की जाएगी।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई 2025 को दोपहर 1:45 बजे होगी।

मामले का शीर्षक: सुमी जोसेफ बनाम मुख्य सचिव एवं सम्बद्ध मामला

मामला संख्या: W.P.(C) No. 23505 of 2023 और सम्बद्ध मामला