मद्रास हाईकोर्ट ने 14 अगस्त 2025 को चेन्नई पुलिस द्वारा निगम भवन के बाहर सफाईकर्मियों के प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए चार वकीलों और दो विधि छात्रों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एम.एस. रमेश और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन की पीठ ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका संख्या 1599/2025 में की।
याचिकाकर्ता के अनुसार, प्रदर्शन के बाद कई वकील और विधि छात्र लापता हो गए थे। पुलिस रिकॉर्ड में चार वकील - के. भारती, के. सुरेश, मोहन बाबू और आर. राजकुमार - तथा दो विधि छात्र - मुथुसेलवन और वलारमथि - की गिरफ्तारी दर्ज थी, जबकि एक अन्य वकील और छह विधि छात्रों से पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
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अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि गिरफ्तार व्यक्तियों पर सार्वजनिक बसों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता, 2023 और तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति (हानि और क्षति की रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। साक्ष्य के रूप में वीडियो क्लिपिंग और एक महिला कांस्टेबल की चोट का मेडिकल रजिस्टर प्रस्तुत किया गया।
हालांकि, अदालत ने पाया कि चोट का रिकॉर्ड आरोपियों को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराता और बसों को नुकसान उनकी गिरफ्तारी के बाद हुआ प्रतीत होता है। न्यायालय ने प्रारंभिक दृष्टि में माना कि यह हिरासत अवैध हो सकती है और यह भी देखा कि आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया था।
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"चार वकीलों और दो विधि छात्रों की पुलिस हिरासत prima facie अवैध हो सकती है,"
अदालत ने टिप्पणी करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया, साथ ही यह शर्त रखी कि अगली सुनवाई 21 अगस्त 2025 तक वे इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान या सोशल मीडिया पोस्ट न करें।
केस का शीर्षक: एस. विजय बनाम पुलिस आयुक्त और अन्य
केस नंबर: एचसीपी नंबर 1599, 2025