Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल में पेड़ कटाई पर रोक लगाई, बड़े पैमाने पर उल्लंघनों पर शीर्ष अधिकारियों को तलब किया

Vivek G.

स्वप्रेरणा बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य के संदर्भ में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल में सभी पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी, “प्रत्यारोपण” के दुरुपयोग पर सवाल उठाए, और कथित तौर पर बड़े पैमाने पर पर्यावरण उल्लंघन पर शीर्ष अधिकारियों को तलब किया।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल में पेड़ कटाई पर रोक लगाई, बड़े पैमाने पर उल्लंघनों पर शीर्ष अधिकारियों को तलब किया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बुधवार को भोपाल में चल रही पेड़ों की कटाई पर सख्त रुख अपनाते हुए तुरंत सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान अदालत को ऐसे गंभीर तथ्य बताए गए जिनसे पता चला कि नई आवासीय और रेलवे परियोजनाओं के नाम पर बड़े पैमाने पर हरियाली को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। कार्यवाही के दौरान माहौल काफी तनावपूर्ण रहा और बेंच राज्य द्वारा दी गई सफाई से बिल्कुल संतुष्ट नजर नहीं आई। एक वकील ने बताया कि अदालत का रुख साफ था-“विकास के नाम पर पूरे पर्यावरण को उजाड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती।”

Read in English

पृष्ठभूमि

यह मामला एक स्वतः संज्ञान याचिका से जुड़ा है जिसमें अदालत ने पहले ही निर्देश दिया था कि कोई भी पेड़ तब तक नहीं काटा या छँटा जाएगा जब तक 9 सदस्यीय समिति या निर्धारित ट्री ऑफिसर इसकी अनुमति न दे। लेकिन अमिकस क्यूरी ने बताया कि 244 पेड़ों को हटाने की तैयारी फिर भी जारी थी, वह भी भोपाल में सरकारी आवास निर्माण के लिए।

Read also:- जलगांव चीनी मिल विवाद में EPF बकाया और बैंक के बीच प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मजदूरों और बैंक-दोनों को राहत

हस्तक्षेपकर्ताओं ने एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कुछ एजेंसियाँ अब “ट्रांसप्लांटेशन” को तरीका बनाकर नियमों को दरकिनार कर रही हैं-यानी पेड़ों की सभी शाखाएँ काटकर केवल तना उखाड़कर दूसरी जगह लगा देना। इस पर अदालत ने टिप्पणी की, “अगर इसे ट्रांसप्लांटेशन कहा जाए, तो खंभे को भी पेड़ कहा जा सकता है।”

साथ ही विधानसभा बिल्डिंग कंट्रोलर की वह चिट्ठी भी सामने रखी गई जिसमें साफ लिखा था कि निर्माण कार्य में बाधा बन रहे पेड़ों की शाखाएँ काटी जा रही हैं और बड़ी मात्रा में लकड़ी एकत्र हो रही है।

स्थिति को और गंभीर बनाते हुए अदालत ने एक अन्य अखबार रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिसमें दावा किया गया था कि रेलवे परियोजना के लिए लगभग 8,000 पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं।

अदालत की टिप्पणियाँ

बेंच ने अपनी नाराजगी बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में व्यक्त की। अदालत ने कहा कि अधिकारियों के आचरण से “कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि उनका उद्देश्य पेड़ों की सुरक्षा या ट्रांसप्लांटेशन है।” अदालत के अनुसार, यह पूरा तरीका विकास के नाम पर सीधी कटाई को वैध बनाने जैसा है।

Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की एकसमान परिभाषा तय की, चार राज्यों में वैज्ञानिक खनन योजना का आदेश

अदालत में दाखिल तस्वीरों ने स्थिति और भी स्पष्ट कर दीं-पूरी तरह पत्तों और शाखाओं से रहित तने, जिन्हें "ट्रांसप्लांटेड" दिखाया जा रहा था। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसा तरीका “पर्यावरणीय मानकों का मज़ाक उड़ाता है।” साथ ही यह भी पूछा कि जब राज्य ने अपने हलफ़नामे में माना है कि कोई औपचारिक ट्रांसप्लांटेशन नीति मौजूद ही नहीं है, तो फिर यह सब कैसे चल रहा है।

निर्णय

कड़ा अंतरिम आदेश जारी करते हुए हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि भोपाल में कोई भी पेड़ बिना अदालत की अनुमति के न काटा जाएगा, न छाँटा जाएगा और न ही किसी तरह ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

अदालत ने अगले सुनवाई दिनांक पर कई वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य कर दी, जिनमें शामिल हैं-

  • कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी
  • अवर सचिव व प्रशासनिक अधिकारी, विधानसभा सचिवालय
  • आयुक्त, नगर निगम भोपाल
  • प्रधान मुख्य वन संरक्षक
  • प्रमुख सचिव, विधानसभा सचिवालय
  • महाप्रबंधक, वेस्ट सेंट्रल रेलवे

Read also:- जलगांव चीनी मिल विवाद में EPF बकाया और बैंक के बीच प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मजदूरों और बैंक-दोनों को राहत

साथ ही अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि सभी "ट्रांसप्लांटेड" पेड़ों की तस्वीरें अगली सुनवाई में पेश की जाएँ। अगली तारीख 26 नवंबर 2025 निर्धारित की गई है। इसी के साथ बेंच ने आदेश समाप्त किया, यह स्पष्ट करते हुए कि अब मामले की निगरानी बेहद सख़्ती से की जाएगी।

Case Title: In Reference Suo Motu v. State of Madhya Pradesh & Others

Case No.: WP No. 42565 of 2025

Case Type: Writ Petition (Suo Motu Public Interest)

Decision Date: 20 November 2025

Advertisment

Recommended Posts