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अप्रैल 2018 के बाद के लेनदेन में ई-वे बिल का भाग बी भरना अनिवार्य: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

29 Apr 2025 9:06 AM - By Vivek G.

अप्रैल 2018 के बाद के लेनदेन में ई-वे बिल का भाग बी भरना अनिवार्य: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

हाल ही में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है कि अप्रैल 2018 के बाद किए गए लेनदेन में ई-वे बिल का भाग बी भरना अनिवार्य है।

यह मामला एम/एस बी एम कंप्यूटर्स से जुड़ा है, जो एक जीएसटी पंजीकृत डीलर है और कंप्यूटर व हार्डवेयर सामान की बिक्री करता है। कंपनी ने अपने आगरा मुख्यालय से गाजियाबाद शाखा को सामान स्थानांतरित किया था, जिसके लिए दो चालान और संबंधित ई-वे बिल जारी किए गए। लेकिन ट्रांजिट के दौरान, ग्रेटर नोएडा में वाहन को रोका गया और जांच में पाया गया कि ई-वे बिल का भाग बी ठीक से नहीं भरा गया था।

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वाहन रुकने के बाद, कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रस्तुत किया, लेकिन सहायक आयुक्त ने यू.पी. और केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 129(3) के तहत जुर्माने का आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने वाहन छोड़वाने के लिए पूरा जुर्माना जमा कर दिया, लेकिन बाद में जुर्माने और अपीलीय आदेश को अदालत में चुनौती दी।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सभी आवश्यक दस्तावेज मौजूद थे, केवल भाग बी नहीं भरा गया था, जो एक मानवीय त्रुटि थी और जिसे ट्रांसपोर्टर द्वारा भरा जाना था। उन्होंने एम/एस वरुण बेवरेजेज लिमिटेड, एम/एस फाल्गुनी स्टील्स जैसे पूर्व फैसलों पर भरोसा किया, जहां कोर्ट ने कहा था कि भाग बी न भरने मात्र से कर चोरी की मंशा साबित नहीं होती।

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हालांकि, राज्य के वकील ने विरोध करते हुए गंभीर बातें बताईं:

  • एक ई-वे बिल में दिखाया गया कि सामान आगरा से आगरा भेजा जा रहा है, जबकि असल में वो आगरा से नोएडा जा रहा था।
  • भाग बी वाहन रोकने के बाद जनरेट किया गया, जिससे रिकॉर्ड में हेरफेर की मंशा जाहिर होती है।

कोर्ट ने कहा:

"एक बार जब सामान ट्रांजिट में हो, तो विक्रेता के लिए पूरा ई-वे बिल डाउनलोड करना अनिवार्य है। केवल भाग ए डाउनलोड कर भाग बी न भरना अधिनियम के तहत जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता।"

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने एम/एस अखिलेश ट्रेडर्स और एम/एस झांसी एंटरप्राइजेज जैसे पुराने मामलों पर भरोसा करते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2018 से प्रभावी जीएसटी नियमों में संशोधन के बाद पूर्ण ई-वे बिल भरना अनिवार्य हो गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब तकनीकी दिक्कतें नहीं रहीं।

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कोर्ट ने यह भी कहा:

"वाहन रुकने के बाद दस्तावेज़ दिखाना, कर चोरी की मंशा को नकारने का आधार नहीं हो सकता।"

इसके अलावा, जीएसटी नियम 138 के अनुसार, किसी भी सामान की आवाजाही से पहले पूरा ई-वे बिल (भाग ए और बी दोनों) भरना जरूरी है।

इस मामले में, जब वाहन को 3:16 AM पर रोका गया, तब भाग बी भरा नहीं गया था और बाद में लगभग एक घंटे बाद उसे जनरेट किया गया। साथ ही, गलत लोकेशन दर्शाने से स्पष्ट हुआ कि याचिकाकर्ता ने कर से बचने की मंशा रखी।

अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि:

"इस मामले में याचिकाकर्ता ने नियमों का पालन नहीं किया और कर चोरी की मंशा स्पष्ट है। अप्रैल 2018 से पहले के मामलों का हवाला इस मामले पर लागू नहीं होता।"

नतीजतन, उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।

केस का शीर्षक: मेसर्स बी एम कम्प्यूटर्स बनाम कमिश्नर कमर्शियल टैक्स और 2 अन्य [रिट टैक्स संख्या - 1559/2024]

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