Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

केरल भूमि सौदे के विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का डिक्री बहाल किया, खरीदार की कथित मॉर्गेज जानकारी पर हाईकोर्ट की रिमांड खारिज

Vivek G.

मोइदीनकुट्टी बनाम अब्राहम जॉर्ज, सुप्रीम कोर्ट ने केरल भूमि बिक्री विवाद में हाईकोर्ट की रिमांड रद्द की, अग्रिम राशि वापसी का आदेश बहाल किया, कहा एक बयान से मामला नहीं पलटता।

केरल भूमि सौदे के विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का डिक्री बहाल किया, खरीदार की कथित मॉर्गेज जानकारी पर हाईकोर्ट की रिमांड खारिज

सोमवार को कोर्ट नंबर __ में, सुप्रीम कोर्ट ने केरल से जुड़े एक लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद को अंतिम रूप देते हुए हाईकोर्ट की उस रिमांड को रद्द कर दिया, जिसमें पहले से तय मुद्दों को फिर से खोल दिया गया था। पीठ ने साफ कहा कि जिरह के दौरान कही गई एक इक्का-दुक्का पंक्ति, जब पूरा रिकॉर्ड कुछ और ही कहानी बता रहा हो, तो मामले की बुनियाद को नहीं हिला सकती।

Read in English

पृष्ठभूमि

यह मामला वर्ष 2008 में मलप्पुरम ज़िले की लगभग 78 एकड़ ज़मीन की बिक्री से जुड़े एक समझौते से पैदा हुआ। खरीदार मोईदीनकुट्टी ने विक्रेता अब्राहम जॉर्ज को ₹50 लाख अग्रिम राशि दी थी। समझौते में साफ लिखा था कि ज़मीन किसी भी प्रकार के दायित्व या बंधक से मुक्त है।

Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो डिजिटल अरेस्ट मामले में आरोपी का नाम सुधारा, खुले न्यायालय में मौखिक उल्लेख

समस्या तब सामने आई जब खरीदार को पता चला कि ज़मीन पर बैंक का मॉर्गेज है। खरीदार के अनुसार, यह अहम तथ्य कभी बताया ही नहीं गया। इसके बाद आश्वासन दिए गए, बिचौलिये आए, और यहां तक कि बिक्री मूल्य में ₹35 लाख की कटौती भी की गई। फिर भी मॉर्गेज समाप्त नहीं हुआ। अंततः खरीदार द्वारा जारी चेक बाउंस हो गया और सौदा टूट गया।

खरीदार ने अग्रिम राशि की वापसी के लिए मुकदमा दायर किया। ट्रायल कोर्ट ने उसकी बात मानी और माना कि विक्रेता ने मॉर्गेज की जानकारी छिपाई थी, और ब्याज सहित राशि लौटाने का आदेश दिया। हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने इसे पलटते हुए जिरह में दिए गए एक कथित बयान पर भरोसा किया, जिससे यह संकेत मिलता था कि खरीदार को पहले से मॉर्गेज की जानकारी थी, और मामले को फिर से यह तय करने के लिए वापस भेज दिया कि विक्रेता को कोई नुकसान हुआ या नहीं।

Read also:- केरल हाई कोर्ट ने फिल्म 'हाल' को प्रमाणन की अनुमति दी, लव जिहाद के आरोपों पर आपत्तियाँ खारिज कीं और फिल्म अपील प्रक्रिया में सुधार के निर्देश दिए

अदालत की टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट इस तर्क से बिल्कुल सहमत नहीं दिखा। अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक ही वाक्य को जरूरत से ज्यादा महत्व दे दिया। पीठ ने नोट किया कि दोनों पक्ष सितंबर 2008 की शुरुआत से पहले मिले ही नहीं थे, ऐसे में पहले से जानकारी होने का तर्क “पूरी तरह असंगत” है।

अदालत ने यह भी अहम माना कि विक्रेता ने खुद स्वीकार किया था कि लिखित समझौते में मॉर्गेज का कोई ज़िक्र नहीं था और खरीदार से मिली राशि का उपयोग बैंक का कर्ज चुकाने में नहीं किया गया। खरीदार द्वारा भेजे गए उस कानूनी नोटिस का भी ज़िक्र हुआ, जिसमें मॉर्गेज छिपाने का आरोप लगाया गया था, और जिसका विक्रेता ने कोई जवाब नहीं दिया।

पीठ ने टिप्पणी की, “बिक्री मूल्य में कटौती किया जाना ही यह दिखाता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ थी,” और कहा कि अगर सब कुछ सही होता तो इतनी बड़ी रियायत देने का सवाल ही नहीं उठता। मूल दस्तावेज़ न देखने के मुद्दे पर अदालत ने कहा कि यह असामान्य नहीं है, क्योंकि अक्सर ज़मीन के कागज़ात सुरक्षा के लिए बैंक लॉकर में रखे जाते हैं।

Read also:- गुजरात हाईकोर्ट ने IIM अहमदाबाद द्वारा डॉक्टोरल छात्रों को निकाले जाने का फैसला रद्द किया, कहा- पहले वर्ष की शैक्षणिक कमी पर DPM नियम निष्कासन की अनुमति नहीं देते

निर्णय

अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट का फैसला पूरी तरह सही था और उसमें दखल की कोई ज़रूरत नहीं थी। हाईकोर्ट द्वारा दिया गया रिमांड आदेश रद्द कर दिया गया और अग्रिम राशि की वापसी व ब्याज संबंधी ट्रायल कोर्ट का डिक्री बहाल कर दिया गया। अपील स्वीकार की गई और खर्च के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया गया।

Case Title: Moideenkutty v. Abraham George

Case No.: Civil Appeal No. 5405 of 2023

Case Type: Civil Appeal (Property / Agreement to Sell Dispute)

Decision Date: 15 December 2025

Advertisment

Recommended Posts