मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम नंबर 5 में असामान्य रूप से भीड़ देखने को मिली, जब भूमि अधिग्रहण से जुड़े कई मामलों की एक बड़ी श्रृंखला अस्थायी विराम पर आ गई। अदालत ने दोनों पक्षों की लंबी दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। ये मामले कर्नाटक प्रशासन और मेसर्स एस.वी. ग्लोबल मिल लिमिटेड के बीच भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न मुआवजे और उससे जुड़े मुद्दों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद से जुड़े हैं।
पृष्ठभूमि
इस पूरे विवाद की जड़ में डिप्टी कमिश्नर और विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा दायर की गई याचिकाएं हैं, जिनमें कर्नाटक हाईकोर्ट, बेंगलुरु के आदेशों को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने पहले भूमि अधिग्रहण के लिए तय मुआवजे से जुड़े पुनर्विचार याचिकाओं और अपीलों पर विचार किया था। उन फैसलों से असंतुष्ट होकर राज्य अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सामान्य पाठकों के लिए, स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) का अर्थ है सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध करना कि वह निचली अदालत के फैसले की जांच करे और देखे कि उसमें सुधार की जरूरत है या नहीं। समय के साथ, अलग-अलग परियोजनाओं और जमीन मालिकों से जुड़े ऐसे ही विवाद एक साथ जोड़ दिए गए, इसी वजह से मामलों की लंबी सूची बनी और बड़ी संख्या में वरिष्ठ वकील अदालत में मौजूद रहे।
न्यायालय की टिप्पणियां
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने राज्य सरकार, जमीन मालिकों और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनीं। सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने मुआवजे और प्रक्रिया से जुड़े पहले से तय मुद्दों को दोबारा खोलकर गलती की है। वहीं, जमीन मालिकों की ओर से कहा गया कि भूमि के मूल्यांकन और कानून के तहत मिलने वाले लाभों पर पहले सही तरीके से विचार नहीं किया गया।
हालांकि सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले के गुण-दोष पर कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह साफ था कि पीठ इसके व्यापक प्रभावों को समझना चाहती है। एक मौके पर पीठ ने यह जरूर संकेत दिया कि ऐसे सवाल बार-बार सामने आ रहे हैं, जिससे कर्नाटक में भूमि अधिग्रहण विवादों को संभालने के तरीके पर एक प्रणालीगत समस्या की ओर इशारा मिलता है। कोर्टरूम के बाहर एक वकील ने धीमे स्वर में कहा, “यह सिर्फ एक मिल या एक गांव का मामला नहीं है, बात पूरे फॉर्मूले की है।”
निर्णय
सभी पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक संक्षिप्त आदेश पारित किया। पीठ ने रिकॉर्ड में दर्ज किया, “सभी संबंधित पक्षों के learned counsel को सुना गया।” इसके बाद अदालत ने साफ शब्दों में कहा, “फैसला सुरक्षित रखा जाता है।” इसके साथ ही उस दिन के लिए मामलों की सुनवाई समाप्त हो गई। अब सभी की नजरें अंतिम फैसले पर टिकी हैं, जो न केवल इन अपीलों का भविष्य तय करेगा, बल्कि कर्नाटक और अन्य राज्यों में इसी तरह के भूमि अधिग्रहण मामलों की दिशा भी तय कर सकता है।
Case Title: The Deputy Commissioner and Special Land Acquisition Officer vs. M/s S.V. Global Mill Limited
Case No.: SLP (Civil) Nos. 215–216 of 2023 (along with multiple connected SLPs)
Case Type: Special Leave Petition (Civil) – Land Acquisition and Compensation Dispute
Decision Date: 10 December 2025 (Judgment Reserved)







