शुक्रवार को हुई संक्षिप्त लेकिन ध्यान खींचने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी से उनकी अलग रह रही पत्नी हसीन जहां द्वारा दायर याचिका पर जवाब मांगा। इस याचिका में जहां ने मासिक गुजारा भत्ते में बढ़ोतरी की मांग की है। मामला, जो कई बार भावनात्मक और पेचीदा मोड़ ले चुका है, एक बार फिर राष्ट्रीय चर्चा में आ गया जब अदालत ने देखा कि वर्तमान भरण-पोषण राशि शमी की आय और जीवनशैली के अनुरूप है या नहीं।
पृष्ठभूमि
2018 से हसीन जहां और मोहम्मद शमी के बीच कानूनी और निजी विवाद चल रहा है। यह वैवाहिक विवाद घरेलू हिंसा से लेकर उत्पीड़न तक के आरोपों के साथ सार्वजनिक मंचों पर भी सामने आया। वर्षों में यह मामला फैमिली कोर्ट से होता हुआ कलकत्ता हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
वर्तमान में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार शमी प्रति माह ₹4 लाख देते हैं—जिसमें ₹1.5 लाख हसीन जहां को और ₹2.5 लाख उनकी बेटी के लिए तय किया गया है। हसीन जहां का कहना है कि यह राशि शमी की वास्तविक आय और सामाजिक हैसियत को ध्यान में रखकर पर्याप्त नहीं है।
अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान जहां की ओर से पेश हुए वकील इम्तियाज़ अहमद ने बताया कि शमी की वार्षिक आय ₹7 करोड़ से अधिक है, जबकि हसीन जहां खुद केवल ₹16,000 माह कमाती हैं। उनका कहना था कि रहने, कानूनी खर्चों और बेटी की जरूरतों को देखते हुए उनका मासिक खर्च ₹6 लाख के करीब होता है, जिससे वर्तमान राशि अपर्याप्त साबित होती है।
इस पर पीठ ने सावधानीपूर्वक टिप्पणी की। एक जज ने कहा,
“पहली नजर में अंतरिम राशि पर्याप्त लगती है, लेकिन हम आपके तर्कों की विस्तृत जांच करेंगे।”
शमी की ओर से अधिवक्ता संदीपन गांगुली ने इसका विरोध किया और कहा कि हसीन जहां ने अपनी आर्थिक स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। उनका कहना था कि शमी कोर्ट के सभी आदेशों का पालन करते रहे हैं और उन्हें ‘लापरवाह’ की तरह दिखाना उचित नहीं।
सुनवाई में कोई खास नाटकीय टकराव नहीं हुआ, पर मामला अपने आप में संवेदनशील था-क्योंकि यह व्यक्तिगत सम्मान, सार्वजनिक छवि और एक राष्ट्रीय क्रिकेटर के निजी जीवन को छूता है।
निर्णय
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने किसी प्रकार का तात्कालिक आदेश नहीं दिया। अदालत ने कहा कि वह पहले पक्षकारों की विस्तृत प्रतिक्रियाएँ देखना चाहेगी।
अदालत ने मोहम्मद शमी और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए उन्हें अपने जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है।
मामले की अगली सुनवाई जवाब दाखिल होने के बाद होगी।
सुनवाई इसी निर्देश के साथ समाप्त हुई।
Case Title: Hasin Jahan vs. Mohammad Shami – Alimony Enhancement Plea
Petitioner: Hasin Jahan (estranged wife of cricketer Mohammad Shami)
Respondent: Mohammad Shami, Indian international cricketer









