सुप्रीम कोर्ट ने सेventh डे एडवेंटिस्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने पश्चिम बंगाल प्रिमाइसेस टेनेंसी एक्ट, 1997 (WBPT एक्ट) के तहत किराया जमा में देरी माफ करने की याचिका को ठुकरा दिया था।
मामला तब शुरू हुआ जब मकान मालिक ने बकाया किराया, वास्तविक आवश्यकता और सब-लेटिंग के आधार पर बेदखली का मुकदमा दायर किया। 29 सितंबर 2022 को समन जारी हुए, लेकिन किरायेदार ने WBPT एक्ट की धारा 7(1) और 7(2) के तहत आवेदन तथा लिमिटेशन एक्ट की धारा 5 के तहत देरी माफी का अनुरोध 17 दिन देर से दाखिल किया।
ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट, दोनों ने माना कि WBPT एक्ट की धारा 7(1) के तहत किराया जमा करने की 30 दिन की समयसीमा अनिवार्य है और लिमिटेशन एक्ट के जरिए इसे बढ़ाया नहीं जा सकता।
"यदि WBPT एक्ट में कम समय सीमा तय की गई है, तो लिमिटेशन एक्ट के प्रावधानों का इस्तेमाल इसे बढ़ाने के लिए नहीं किया जा सकता," सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
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जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि किरायेदार द्वारा तय समय में किराया जमा न करने और आवेदन दाखिल न करने पर धारा 7(3) के तहत बेदखली के खिलाफ बचाव का अधिकार खत्म हो जाता है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 7(2) में समय बढ़ाने का प्रावधान केवल किराया निर्धारण के बाद लागू होता है, उससे पहले नहीं। चूंकि किरायेदार ने शुरुआती जमा की समयसीमा चूक दी थी, इसलिए उसे बेदखली से बचाव का लाभ नहीं मिल सका।
अदालत ने अपील को खारिज करते हुए निचली अदालतों के आदेश को बरकरार रखा।
केस का शीर्षक: सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बनाम इस्मत अहमद एवं अन्य
केस का प्रकार एवं संख्या: सिविल अपील (विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 10900/2024 से उत्पन्न)
निर्णय की तिथि: 13 अगस्त 2025