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भारत के युवाओं में बढ़ते ड्रग संकट पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी, 731 किलो गांजा जब्ती वाले बड़े केस में हाईकोर्ट की बेल रद्द

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं में बढ़ते नशे पर कड़ी चेतावनी देते हुए 731 किलो गांजा केस में हाईकोर्ट की बेल रद्द की, एनडीपीएस की सख़्ती दोहराई।

भारत के युवाओं में बढ़ते ड्रग संकट पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी, 731 किलो गांजा जब्ती वाले बड़े केस में हाईकोर्ट की बेल रद्द

शुक्रवार को भरे हुए कोर्टरूम में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में बढ़ते ड्रग संकट पर बेहद सख़्त चेतावनी दी। आंध्र प्रदेश के एक बेल मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि देश एक “गहराते और खतरनाक” नशे के दौर से गुजर रहा है, खासकर युवाओं के बीच। जैसे ही जजों ने वैश्विक रिपोर्टों और भारतीय शोध का ज़िक्र करना शुरू किया, कोर्ट का माहौल थोड़ा गंभीर हो गया-मानो वे मुद्दे की गंभीरता सभी को समझाना चाहते हों।

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Background (पृष्ठभूमि)

यह मामला एक ऐसे आरोपी से जुड़ा था जिसके पास से 731 किलो से अधिक गांजा-लगभग ₹2.9 करोड़ मूल्य का-बरामद हुआ था। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस साल की शुरुआत में उसे बेल दे दी थी, यह कहते हुए कि जांच पूरी हो चुकी है, ट्रायल में देरी है और आरोपी की उपस्थिति को लेकर उसके भाई (जो कि भारतीय सेना में सिपाही है) ने आश्वासन दिया है।

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लेकिन केंद्र सरकार, यानी एनसीबी ने इस आदेश को चुनौती दी। उनका कहना था कि हाईकोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 की अनिवार्य शर्तों को नज़रअंदाज़ कर दिया। सरल भाषा में, धारा 37 कहती है कि ऐसे मामलों में बेल तभी मिलती है जब कोर्ट को यह संतोष हो जाए कि आरोपी प्रथम दृष्टया दोषी नहीं है और वह बेल पर रहते हुए दोबारा अपराध नहीं करेगा।

सरकार का तर्क था कि हाईकोर्ट ने इन अनिवार्य शर्तों पर कोई विचार नहीं किया।

Court’s Observations (कोर्ट की टिप्पणियाँ)

जस्टिस मनमोहन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने पहले व्यापक संदर्भ में समस्या पर बात की और फिर केस के तथ्य देखे। 2025 की यूएन वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि दुनिया भर में 316 मिलियन से ज्यादा लोग नशा कर रहे हैं, और भारत “इससे अलग नहीं है।”

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“बेंच ने कहा, ‘ड्रग तस्करी और लत बेहद व्यापक हो चुकी है। भारत में युवाओं में नशे का बढ़ना बेहद चिंताजनक है, जो परिवारों, समुदायों और देश के सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे को प्रभावित कर रहा है।’”

जजों ने अप्रैल 2025 में इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन में प्रकाशित शोध का भी ज़िक्र किया, जिसमें भारतीय युवाओं में बढ़ते नशे के पैटर्न को दर्शाया गया है।

सुनवाई के दौरान एक समय पर जस्टिस मनमोहन ने लगभग बातचीत के लहज़े में कहा, “कई खबरों के अनुसार अब भारत एक बड़ी दुविधा में है-या तो इस संकट का संगठित रूप से मुकाबला करे या अपनी एक पूरी पीढ़ी को खो दे।”

केस के तथ्यों पर लौटते हुए कोर्ट ने कहा कि जब्ती की मात्रा से साफ है कि यह संगठित तस्करी का मामला है। कथित रूप से ट्रेलर के नीचे छिपे हुए खोखे (secret cavities) बनाए गए थे-जिसे बेंच के अनुसार “यूं ही नहीं किया जा सकता।”

एक साल चार महीने की हिरासत अवधि को लेकर कोर्ट ने कहा कि जब एनडीपीएस एक्ट में कम से कम दस साल की सज़ा का प्रावधान है, तो यह अवधि किसी भी तरह से अत्यधिक नहीं मानी जा सकती।

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बेंच ने उस दलील को भी खारिज कर दिया कि आरोपी के सेना-सिपाही भाई का आश्वासन उसकी उपस्थिति सुनिश्चित कर सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा, “भारत में आरोपी के कथित अपराधों की सज़ा उसके भाई या परिवार के किसी और सदस्य को नहीं दी जा सकती।”

Decision (निर्णय)

अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने धारा 37 की कठोर शर्तों को “पूरी तरह अनदेखा” किया है, और इसलिए बेल आदेश को रद्द किया जाता है। कोर्ट ने आरोपी को दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का निर्देश दिया। जैसे ही आदेश पढ़कर सुनाया गया, कोर्टरूम में कुछ क्षणों के लिए सन्नाटा छा गया-जैसे यह संदेश चार दीवारों से बहुत दूर तक जाना हो।

Case Title: Union of India (NCB) vs. Accused in 731 kg Ganja Seizure Case

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice Manmohan & Justice N.V. Anjaria

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