सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा मंत्री कुंवर विजय शाह की कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ विवादित "आतंकवादियों की बहन" टिप्पणी के मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक बढ़ा दी है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट लंबित कार्यवाही को बंद कर दे क्योंकि उसने खुद इस मामले का संज्ञान ले लिया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सूचित किया कि पिछले आदेश के अनुसार, मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है। जांच जारी है और इसके लिए और समय मांगा गया है। भोपाल के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया कि एसआईटी ने 21 मई को स्थल का दौरा किया, सबूत एकत्र किए, मोबाइल फोन जब्त किए और गवाहों के बयान दर्ज किए।
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सुप्रीम कोर्ट ने जांच जारी रखने और अगली सुनवाई की तारीख पर एसआईटी से अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ शाह द्वारा दाखिल दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहली याचिका में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें शाह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। दूसरी याचिका में 15 मई के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें हाईकोर्ट ने शाह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर असंतोष व्यक्त किया और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए निगरानी करने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले शाह के खिलाफ प्राथमिकी की जांच के लिए मध्य प्रदेश से बाहर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी बनाई थी। कोर्ट ने शाह की गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई थी, बशर्ते वे पूरी तरह से जांच में सहयोग करें। हालांकि कोर्ट ने जांच की निगरानी नहीं करने की बात कही, लेकिन एसआईटी से नियमित स्टेटस रिपोर्ट मांगी।
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सुनवाई के दौरान, पीठ ने शाह की टिप्पणी की कड़ी आलोचना की, इसे "घिनौना, घटिया और शर्मनाक" बताया। कोर्ट ने शाह की सार्वजनिक माफी को अस्वीकार कर दिया और इसे "ईमानदार नहीं" कहा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि शाह की माफी वीडियो में उन्होंने जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात स्वीकार नहीं की और उन्हें आत्ममंथन कर यह सोचने की सलाह दी कि कैसे खुद को सुधार सकते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
कर्नल सोफिया कुरैशी 'ऑपरेशन सिंदूर' की प्रमुख चेहरा रही थीं, जिन्होंने भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर की गई सैन्य कार्रवाई पर प्रेस ब्रीफिंग दी थी। लेकिन, कुंवर विजय शाह ने एक कार्यक्रम में विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने कहा:
"जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे… हमने उन्हीं की बहन भेज कर उनकी ऐसी-की-तैसी करवाई।"
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14 मई को, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद, एमपी पुलिस ने उन्हें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत बुक किया।
उस रात करीब 9:34 बजे, शाह ने अपने आधिकारिक एक्स (X) अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने माफी मांगी और कर्नल कुरैशी को "राष्ट्र की बहन" कहा।
15 मई को, हाईकोर्ट ने प्राथमिकी पर असंतोष व्यक्त किया और निष्पक्ष जांच के लिए निगरानी की बात कही। इसके खिलाफ शाह ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की। इसके बाद 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई और मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया।
केस का शीर्षक: कुंवर विजय शाह बनाम मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय एवं अन्य, डायरी संख्या 27093-2025 (और संबंधित मामला)