सड़क पर जन्मदिन स्टंट पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य को फटकारा, ‘आंखों में धूल झोंकने वाली कार्रवाई’ बताई, मुख्य सचिव से नया हलफनामा मांगा

By Shivam Y. • October 31, 2025

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सड़क पर स्टंट करने के मामलों में राज्य सरकार की "दिखावटी" कार्रवाई की आलोचना की, यातायात और सुरक्षा कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए नए हलफनामे का आदेश दिया। - स्वप्रेरणा से जनहित याचिका बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य

एक कड़े शब्दों वाले आदेश में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने मंगलवार को राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर स्टंट और जन्मदिन समारोह रोकने के लिए की गई कार्रवाई केवल “आंखों में धूल झोंकने” जैसी है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब बात जनसुरक्षा की हो, तो सतही प्रवर्तन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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यह मामला स्वप्रेरित जनहित याचिका (WPPIL No. 21 of 2025) से जुड़ा है, जिसे उस समय स्वतः संज्ञान में लिया गया जब सोशल मीडिया पर लोगों के खतरनाक स्टंट करने और चलती गाड़ियों पर केक काटने के वीडियो सामने आए।

पृष्ठभूमि

इससे पहले, अदालत ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसमें यह बताया जाए कि ऐसी लापरवाह हरकतों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इसके जवाब में मुख्य सचिव ने 28 अक्टूबर 2025 को हलफनामा दायर किया, जिसमें राज्य पुलिस की कार्रवाई का ब्यौरा दिया गया।

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हलफनामे के अनुसार, पुलिस महानिदेशक (DGP) ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे सड़क पर स्टंट को हतोत्साहित करें, तुरंत कानूनी कार्रवाई करें और जन-जागरूकता अभियान चलाएं। इसमें दो घटनाओं का ज़िक्र किया गया - एक बारसूर (बस्तर जिला) की और दूसरी चिरमिरी (मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला) की।

बारसूर मामले में, एक महिला का ब्लैक स्कॉर्पियो में स्टंट करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। पुलिस ने वाहन को ट्रैक कर चालक पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184 के तहत ₹2,000 का जुर्माना और धारा 130(1)/177 के तहत ₹300 का जुर्माना लगाया। वहीं, चिरमिरी में एक दंपति पर गाड़ी के बोनट पर केक काटने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, वाहन जब्त किया गया और आरोपपत्र दायर किया गया।

हलफनामे में यह भी उल्लेख किया गया कि 25 अक्टूबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सभी संभागायुक्तों, पुलिस महानिरीक्षकों, जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की बैठक हुई, जिसमें सड़क सुरक्षा और विधि-व्यवस्था पर उच्च न्यायालय के निर्देशों की समीक्षा की गई। इसमें शिकायतों पर 15–30 मिनट के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करने की व्यवस्था विकसित करने के निर्देश दिए गए।

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अदालत की टिप्पणियाँ

इन रिपोर्टों के बावजूद, उच्च न्यायालय इससे संतुष्ट नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि राज्य द्वारा दी गई जानकारी “सिर्फ आंखों में धूल झोंकने जैसी प्रतीत होती है” और यह गंभीरता तथा जवाबदेही की कमी को दर्शाती है।

“यदि राज्य कानून के उल्लंघन पर की गई ऐसी कार्रवाई को पर्याप्त मानता है,” न्यायालय ने कहा, “तो यह केवल अधिकारियों की लापरवाह कोशिश को दर्शाता है, जो ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गंभीर नहीं हैं।”

न्यायाधीशों ने यह चिंता भी जताई कि राजमार्ग और सार्वजनिक सड़कें “अमीर व्यक्तियों द्वारा जन्मदिन मनाने के लिए” उपयोग की जा रही हैं, जिससे न केवल जनसुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि कानून का भी मज़ाक बनता है।

अदालत ने यह भी कहा कि “कड़ी और निवारक कार्रवाई” आवश्यक है, खासकर तब जब अपराधी अपने पैसे और प्रभाव का दिखावा करते हैं। आदेश की भाषा से यह साफ झलकता है कि अदालत सतही अनुपालन से बेहद नाराज़ है।

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निर्णय

सुनवाई के अंत में, उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आगे क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे। अदालत ने कहा कि इस बार हलफनामा केवल औपचारिक न हो, बल्कि वास्तविक रोकथाम के उपाय सामने आएं।

“हम आशा और विश्वास करते हैं कि राज्य अधिक सजगता से कार्य करेगा और ऐसी सख्त कार्रवाई करेगा जो वास्तव में निवारक सिद्ध हो,” अदालत ने कहा।

मामले को आगे की सुनवाई के लिए 21 नवंबर 2025 को सूचीबद्ध किया गया है, जब राज्य का नया हलफनामा प्रस्तुत किया जाएगा।

आदेश की प्रति राज्य के अधिवक्ता के माध्यम से मुख्य सचिव को तत्काल अनुपालन हेतु भेजी गई है।

Case Title: Suo Motu Public Interest Litigation vs. State of Chhattisgarh & Others

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