अपहरण से मुकदमे तक: हाई कोर्ट ने सात साल पुराना केस किया खत्म

By Vivek G. • December 26, 2025

सनी कश्यप बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने 2015 के अपहरण केस को रद्द किया, पुलिस जांच में खामियां और गलत उम्र बताने पर कड़ी टिप्पणी की।

श्रीनगर की अदालत में सोमवार को माहौल गंभीर था। जस्टिस राहुल भारती ने जैसे ही फैसला पढ़ना शुरू किया, यह साफ हो गया कि यह कोई साधारण आदेश नहीं है। मामला एक ऐसे आपराधिक केस का था जो 2015 से चल रहा था, लेकिन कोर्ट की नजर में वह शुरू से ही कमजोर आधार पर टिका हुआ था। आखिरकार, हाई कोर्ट ने उस पूरे केस पर ही विराम लगा दिया।

Read in English 

Background

कहानी सितंबर 2015 की है। अनंतनाग के एक व्यक्ति ने पुलिस स्टेशन अचबल में शिकायत दी कि उसकी बेटी बाजार गई थी और वापस नहीं लौटी। शिकायत में कहा गया कि उसकी 16–17 साल की बेटी को जम्मू के रहने वाले सनी कश्यप ने जबरन अगवा कर लिया। इसी आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई।

Read also:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियुक्तों की रिवीजन याचिका खारिज की, कहा- धारा 156(3) CrPC के तहत FIR आदेश को इस स्तर पर चुनौती नहीं दी जा सकती

लेकिन कुछ ही दिनों में तस्वीर बदलने लगी। लड़की की मेडिकल जांच हुई, जिसमें उसकी उम्र 20 साल दर्ज की गई। डॉक्टरों ने किसी तरह की हालिया यौन हिंसा से भी इनकार किया। बाद में मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में लड़की ने खुद कहा कि वह बालिग है।

इसी बीच सनी कश्यप ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बताया कि दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की थी। कोर्ट में पेश होने पर लड़की ने शादी की बात मानी, लेकिन यह भी कहा कि वह फिलहाल अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है। उस समय मामला वहीं खत्म हो गया।

हैरानी की बात यह रही कि करीब सात साल बाद, 2022 में, पुलिस ने अचानक चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसमें गंभीर धाराएं जोड़ दी गईं और कश्यप को फरार तक बताया गया।

Read also:- कलकत्ता हाईकोर्ट ने एमएसटीसी को सीडीए नियमों के तहत ग्रेच्युटी से नुकसान वसूली की अनुमति दी, एकल न्यायाधीश का आदेश पलटा

Court’s Observations

जस्टिस राहुल भारती ने पुलिस जांच पर कड़ा सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि शुरुआत में ही लड़की की उम्र गलत लिखी गई और इस पर किसी ने सवाल नहीं किया। पीठ ने टिप्पणी की, “कोई भी पिता अपनी बेटी की उम्र भूल जाए, यह बात आसानी से गले नहीं उतरती।”

कोर्ट ने यह भी पूछा कि लड़की इतनी जल्दी कैसे बरामद हो गई, आरोपी को तब गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया और 2015 में हाई कोर्ट में दर्ज हुए बयान को चार्जशीट में पूरी तरह नजरअंदाज क्यों किया गया।

फैसले में जांच को “रूढ़िवादी और आंख मूंदकर की गई” बताया गया। अदालत ने साफ कहा कि जरूरी तथ्यों को जानबूझकर दबाया गया। यहां तक कहा गया कि यह पूरा मामला अंतरधार्मिक विवाह के कारण आरोपी को परेशान करने की कोशिश जैसा दिखता है।

Read also:- उन्नाव रेप केस फिर सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती

Decision

इन हालात में कोर्ट ने माना कि अगर इस केस को आगे चलने दिया गया तो यह न्याय नहीं, बल्कि उत्पीड़न होगा। इसलिए हाई कोर्ट ने अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एफआईआर, चार्जशीट और अनंतनाग की सेशंस कोर्ट में चल रही पूरी कार्यवाही को रद्द कर दिया। इसके साथ ही यह मामला पूरी तरह समाप्त घोषित किया गया।

Case Title: Sunny Kashyap v. Union Territory of Jammu & Kashmir

Case No.: CRM(M) No. 507/2022 (with CrlM No. 1434/2022)

Case Type: Criminal Petition under Section 482 CrPC (Quashing of FIR/Challan)

Decision Date: 15 December 2025

Recommended