पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पासपोर्ट रद्द करने का आदेश किया रद्द, तीन हफ्तों में नया पासपोर्ट जारी करने का निर्देश

By Shivam Y. • September 10, 2025

नवप्रीत कौर बनाम भारत संघ और अन्य - पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पासपोर्ट निरस्तीकरण नियम को रद्द कर दिया, पति/पत्नी के नाम में मामूली त्रुटि, 3 सप्ताह में नया पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया।

चंडीगढ़ स्थित पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला का पासपोर्ट रद्द किए जाने पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि पूर्व पति का नाम गलती से लिखे जाने को कठोर दंड का आधार नहीं बनाया जा सकता। न्यायमूर्ति हर्ष बुंगर ने 25 अगस्त 2025 को नवप्रीत कौर बनाम भारत संघ और पासपोर्ट अधिकारियों के मामले में यह निर्णय सुनाया।

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पृष्ठभूमि

नवप्रीत कौर ने वर्ष 2000 में डॉ. सिद्धार्थ नरूला से विवाह किया था। इस दंपति की एक बेटी हुई, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए और अप्रैल 2011 में चंडीगढ़ की अदालत ने उन्हें तलाक दे दिया।

चार साल बाद, 2015 में, नवप्रीत ने एक ट्रैवल एजेंट के माध्यम से पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आवेदन किया। लेकिन नवीनीकृत पासपोर्ट में पति के कॉलम में उनके पूर्व पति का नाम ही दर्ज हो गया।

नवप्रीत ने नवंबर 2023 में नीरज कुमार से दूसरी शादी की और उसके नाम को पासपोर्ट में दर्ज करने के लिए आवेदन दिया। इसके बाद नीरज कुमार ने शिकायत दर्ज कराई कि तलाकशुदा होने के बावजूद उनके पहले पति का नाम पासपोर्ट में दर्ज किया गया है। इसी आधार पर जनवरी 2025 में चंडीगढ़ रीजनल पासपोर्ट ऑफिस ने पासपोर्ट रद्द कर दिया और मार्च 2025 में अपील भी खारिज कर दी गई।

अदालत की टिप्पणियाँ

पीठ ने कहा कि पासपोर्ट अधिनियम अधिकारियों को पासपोर्ट रद्द करने का अधिकार देता है, लेकिन यह तभी लागू होता है जब गलत जानकारी जानबूझकर दी गई हो। न्यायमूर्ति बुंगर ने जोर देकर कहा कि वैवाहिक स्थिति को लेकर हुई साधारण चूक को जानबूझकर की गई जानकारी छुपाने के बराबर नहीं माना जा सकता।

अदालत ने स्पष्ट किया,

"गलत दी गई जानकारी ऐसी होनी चाहिए कि यदि उसे सही रूप से बताया जाता तो पासपोर्ट ही जारी न किया जाता।"

इसके अलावा अदालत ने नियमों का हवाला दिया, जिसमें वैवाहिक स्थिति से जुड़ी गलती को 'माइनर सप्रेशन' (छोटी चूक) माना गया है, जिसके लिए केवल मामूली जुर्माना लगाया जा सकता है।

महत्वपूर्ण यह रहा कि स्वयं डॉ. नरूला ने बयान देकर पुष्टि की कि 2015 के पासपोर्ट में उनका नाम दर्ज होना सिर्फ एक ईमानदार चूक थी और नवप्रीत ने इस स्थिति का कभी गलत इस्तेमाल नहीं किया।

पीठ ने कहा,

"पूर्व पति का नाम अनजाने में दर्ज होना, बिना किसी दुरुपयोग या अनुचित लाभ के, पासपोर्ट रद्द करने जैसे कठोर कदम को उचित नहीं ठहराता।"

निर्णय

न्यायमूर्ति बुंगर ने 29 जनवरी 2025 (रीजनल पासपोर्ट ऑफिस) और 27 मार्च 2025 (अपील प्राधिकारी) दोनों आदेशों को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि नवप्रीत कौर को नया पासपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर जारी किया जाए, बशर्ते वह आवश्यक विवरण पासपोर्ट विभाग को सौंप दे।

इसके साथ ही रिट याचिका निपटा दी गई।

केस का शीर्षक: नवप्रीत कौर बनाम भारत संघ एवं अन्य

केस संख्या: CWP-10890-2025 (O&M)

निर्णय की तिथि: 25 अगस्त 2025

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