Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समझौते के बाद पति-पत्नी के बीच चल रहा आपराधिक मामला किया खत्म

Shivam Y.

श्रीमती साक्षी एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य - इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद के निपटारे के बाद आपराधिक मामला रद्द कर दिया, जिससे फिरोजाबाद में सात साल से चल रही कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समझौते के बाद पति-पत्नी के बीच चल रहा आपराधिक मामला किया खत्म

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक लंबे समय से चल रहे वैवाहिक विवाद को समाप्त करते हुए आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, क्योंकि अलग रह रहे पति और पत्नी ने आपसी समझौते से मामला सुलझा लिया था। कोर्ट नंबर 72 के न्यायमूर्ति दीपक वर्मा ने 9 सितंबर 2025 को यह आदेश पारित किया, जिससे फ़िरोज़ाबाद की अदालतों में कई वर्षों से लंबित यह मामला खत्म हुआ।

Read in English

पृष्ठभूमि

मामला 2018 में शुरू हुआ था जब पति ने अपनी पत्नी और ससुर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी), 323 (मारपीट), 504 (शांति भंग करने की नीयत से गाली-गलौज), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। यह मामला थाना टुंडला में दर्ज हुआ और फिर फ़िरोज़ाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इसे संज्ञान में लिया।

Read also:- केरल हाईकोर्ट ने किशोर प्रेम संबंध मामले में पॉक्सो केस रद्द किया, सहमति और भविष्य को देखते हुए फैसला

पत्नी ने दूसरी ओर आरोप लगाया था कि उसे ससुराल में उत्पीड़न और प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और उसने उसी वर्ष पहले ही धारा 498A (क्रूरता), दहेज निषेध अधिनियम की धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।

उसकी ओर से दलील दी गई, "पति द्वारा की गई शिकायत मेरी एफआईआर का मात्र जवाबी हमला है।"

सालों तक यह मामला अलग-अलग अंतरिम आदेशों से गुज़रा। 2020 में हाईकोर्ट ने पत्नी और उसके पिता को सम्मन आदेश के खिलाफ दी गई चुनौती पर जबरन कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। आखिरकार, दोनों पक्षों ने समझौते का रास्ता चुना और घटनाक्रम ने नया मोड़ लिया।

Read also:- केरल हाईकोर्ट ने किशोर प्रेम संबंध मामले में पॉक्सो केस रद्द किया, सहमति और भविष्य को देखते हुए फैसला

न्यायालय की टिप्पणियाँ

पीठ ने नोट किया कि दोनों पक्षों ने 'आपसी सहमति से विवाद सुलझा लिया' और ट्रायल कोर्ट में लिखित समझौता दाखिल किया। 4 अक्टूबर 2024 को हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को समझौते की पुष्टि करने का निर्देश दिया। 4 नवंबर 2024 को ट्रायल कोर्ट ने पुष्टि की कि पति और पत्नी ने स्वेच्छा से मुकदमे को खत्म करने पर सहमति जताई है।

न्यायमूर्ति वर्मा ने आदेश में कहा,

"जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से विवाद निपटा चुके हैं और समझौता भी हो चुका है, तो अभियोजन को जारी रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा।"

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व निर्णयों का भी हवाला दिया, जिनमें बी.एस. जोशी बनाम स्टेट ऑफ़ हरियाणा (2003) और गिआन सिंह बनाम स्टेट ऑफ़ पंजाब (2012) शामिल हैं, जिनमें यह सिद्धांत स्थापित किया गया कि जब पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझ जाता है तो हाईकोर्ट आपराधिक मामलों को खत्म कर सकता है।

Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने 17 साल पुराने कर्नाटक आत्महत्या उकसावे मामले में महिला को बरी किया

निर्णय

यह मानते हुए कि विवाद निजी था और दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से सुलझा लिया है, हाईकोर्ट ने फ़िरोज़ाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित वाद संख्या 448/2018 की कार्यवाही को पूरी तरह से समाप्त कर दिया।

न्यायाधीश ने आदेश दिया,

"धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दी गई अर्जी स्वीकार की जाती है,"

जिससे सात साल पुराने इस कानूनी संघर्ष का अंत हो गया, जो टूटे हुए विवाह से शुरू हुआ था लेकिन अंततः आपसी समझौते पर खत्म हुआ।

केस का शीर्षक: श्रीमती साक्षी एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य

केस संख्या: धारा 482 के अंतर्गत आवेदन संख्या 11499/2020

Advertisment

Recommended Posts