दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को लगभग एक दशक पुराने दहेज उत्पीड़न से जुड़े आपराधिक मामले को समाप्त कर दिया, जब दोनों पक्षों ने अदालत को सूचित किया कि वे आपसी सहमति से समझौते पर पहुँचे हैं। 2016 से लंबित यह मामला जस्टिस रविंदर दूडेज़ा ने औपचारिक रूप से बंद कर दिया।
पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब याचिकाकर्ता अजय पासी और शिकायतकर्ता का विवाह नवंबर 2003 में दिल्ली में हिंदू रीति-रिवाजों से हुआ। इस दंपति के दो बच्चे हुए। हालांकि, 2013 के अंत तक आपसी मतभेदों के कारण दोनों अलग-अलग रहने लगे। 2016 में पत्नी ने विकासपुरी थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें दहेज को लेकर क्रूरता और उत्पीड़न के आरोप लगाए। इसके आधार पर आईपीसी की धारा 498A, 406 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
बाद में आरोपपत्र दाखिल किया गया, लेकिन केवल अजय पासी और एक अन्य परिवारजन को ही तलब किया गया। बाकी को आरोपपत्र के कॉलम-12 में रखा गया, जिसका अर्थ है कि उनके खिलाफ सक्रिय कार्यवाही शुरू नहीं हुई।
अदालत की टिप्पणियाँ
बुधवार की सुनवाई में वकीलों ने अदालत को बताया कि दंपति का मार्च 2023 में आधिकारिक तौर पर तलाक हो चुका है और 24 मई 2025 को उन्होंने एक लिखित समझौता कर लिया। इस समझौते के अनुसार बच्चों की अभिरक्षा पत्नी के पास रहेगी और दोनों पक्षों ने यह तय किया कि वे आपराधिक मामला आगे नहीं बढ़ाएँगे।
शिकायतकर्ता स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुईं और अदालत को बताया कि उन्होंने बिना किसी दबाव के मामला सुलझा लिया है।
जस्टिस दूडेज़ा ने आदेश में लिखा, "उन्हें एफआईआर रद्द होने पर कोई आपत्ति नहीं है।"
राज्य की ओर से उपस्थित अतिरिक्त लोक अभियोजक ने भी कहा कि जब मामला सौहार्दपूर्वक सुलझ गया है तो अभियोजन को कोई आपत्ति नहीं है। जज ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों - गिआन सिंह बनाम पंजाब राज्य और बी.एस. जोशी बनाम हरियाणा राज्य - का हवाला दिया, जिनमें कहा गया है कि वैवाहिक विवादों का निपटारा सबसे अच्छा तब होता है जब दोनों पक्ष मुकदमेबाजी छोड़कर शांति का रास्ता चुनते हैं।
पीठ ने कहा, "जहाँ पति-पत्नी ने बिना किसी दबाव के अपने मतभेद सुलझा लिए हैं, वहाँ न्यायहित में ऐसे मामलों को समाप्त करना उचित है," आदेश में दर्ज है।
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आपसी सहमति और न्यायहित को देखते हुए, अदालत ने 9 नवंबर 2016 को विकासपुरी थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 634/2016 को रद्द कर दिया। इसके साथ ही उससे जुड़ी सभी आपराधिक कार्यवाहियाँ भी खत्म कर दी गईं।
जस्टिस दूडेज़ा ने निष्कर्ष में लिखा,
"न्यायहित में उपरोक्त एफआईआर और उससे संबंधित कार्यवाहियों को समाप्त करना उचित होगा।"
इसके साथ ही याचिका स्वीकार कर निपटारा कर दिया गया।
केस का शीर्षक: अजय पासी एवं अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य एवं अन्य
केस संख्या: CRL.M.C. 6197/2025 & CRL.M.A. 26264/2025