यह विवाद श्रीमती शैलजा कृष्णा से शुरू हुआ, जिन्होंने अपने पति श्री वेद कृष्णा के साथ मिलकर 2006 में सरगम एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की (जिसका बाद में नाम बदलकर सतोरी ग्लोबल लिमिटेड किया गया)।
शुरुआत में, श्रीमती कृष्णा के पास कंपनी के लगभग 98% शेयर थे। लेकिन दिसंबर 2010 में विवाद शुरू हुआ, जब कहा गया कि उन्होंने निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया और अपने सारे शेयर उपहार पत्र (Gift Deed) के जरिए अपनी सास श्रीमती मंजीला झुनझुनवाला को ट्रांसफर कर दिए।
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बाद में श्रीमती कृष्णा ने दावा किया कि उन्हें ब्लैंक दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए और यह गिफ्ट डीड व शेयर ट्रांसफर धोखाधड़ी था। उन्होंने NCLT इलाहाबाद का दरवाजा खटखटाया, जिसने 2018 में उनके पक्ष में फैसला दिया और उन्हें शेयरधारक व निदेशक बहाल किया।
लेकिन 2023 में NCLAT नई दिल्ली ने इस आदेश को पलटते हुए कहा कि NCLT को धोखाधड़ी जैसे मुद्दों पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। इसके बाद श्रीमती कृष्णा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
1. याचिका की स्वीकार्यता
कोर्ट ने कहा कि श्रीमती कृष्णा की याचिका कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 397 और 398 के तहत सही थी।
“अल्पसंख्यक शेयरधारकों को उपायहीन नहीं छोड़ा जा सकता,” कोर्ट ने टिप्पणी की।
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2. NCLT की शक्ति
पीठ ने स्पष्ट किया कि NCLT के पास व्यापक अधिकार हैं और वह दमन व कुप्रबंधन से जुड़े मामलों में धोखाधड़ी वाले शेयर ट्रांसफर की भी जांच कर सकता है।
3. गिफ्ट डीड अमान्य
कोर्ट ने दिसंबर 2010 की गिफ्ट डीड को अमान्य घोषित किया।
“सास को गिफ्ट के रूप में शेयर ट्रांसफर करना कंपनी के AoA (Articles of Association) के तहत मान्य नहीं है,” कोर्ट ने कहा।
4. शेयर ट्रांसफर फॉर्म में छेड़छाड़
कोर्ट ने पाया कि शेयर ट्रांसफर फॉर्म में तारीखों में हेरफेर और ओवरराइटिंग की गई थी। इससे यह दस्तावेज अविश्वसनीय साबित हुए।
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5. बोर्ड मीटिंग्स अवैध
15.12.2010 और 17.12.2010 को हुई बोर्ड बैठकों को कोर्ट ने गैरकानूनी बताया।
- श्रीमती कृष्णा को कोई वैध नोटिस नहीं दिया गया।
- कोरम (quorum) पूरा नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT का आदेश खारिज कर दिया और NCLT का 2018 का आदेश बहाल कर दिया।
- श्रीमती कृष्णा कंपनी की 39,500 शेयरों की वैध मालिक बनी रहेंगी।
- उन्हें सतोरी ग्लोबल लिमिटेड की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में फिर से बहाल किया जाएगा।
- प्रतिवादियों को उनके शेयर सर्टिफिकेट वापस करने होंगे।
“कंपनी की सारी कार्रवाइयां सामूहिक रूप से दमन और कुप्रबंधन को दर्शाती हैं। ईमानदारी और निष्पक्षता की कमी थी, जिससे अपीलकर्ता को नुकसान हुआ,” कोर्ट ने कहा।
मामला: श्रीमती शैलजा कृष्णा बनाम सटोरी ग्लोबल लिमिटेड एवं अन्य
मामले का प्रकार: सिविल अपील संख्या 6377-6378, 2023
निर्णय की तिथि: 2 सितंबर, 2025