भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सी.एल. गुप्ता एक्सपोर्ट लिमिटेड पर पर्यावरण उल्लंघनों के आरोप में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा लगाए गए ₹50 करोड़ के जुर्माने को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा किसी भी कानूनी सिद्धांत पर आधारित नहीं था और केवल निरंतर निगरानी व अनुपालन ऑडिट जारी रहेंगे।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब शुरू हुआ जब अदिल अंसारी ने एनजीटी में आवेदन देकर आरोप लगाया कि सी.एल. गुप्ता एक्सपोर्ट लिमिटेड पर्यावरणीय क्षति कर रहा है, जिसमें भूमिगत जल का दोहन और गंगा की सहायक नदी में बिना शोधन किए गए अपशिष्ट जल का प्रवाह शामिल था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की रिपोर्टों में कई खामियों की ओर इशारा किया गया, जैसे कि अप्रभावी अपशिष्ट शोधन और बिना अनुमति संचालित इकाइयाँ।
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कंपनी से पहले लगभग ₹2.49 करोड़ का पर्यावरण मुआवजा (ईसी) वसूला गया था, जिसमें से ₹1.16 करोड़ से अधिक जमा कराए गए। बाद में, 2021 की एक रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि कंपनी ने सभी पर्यावरणीय मानकों का पालन किया है। इसके बावजूद, एनजीटी ने कंपनी के टर्नओवर के आधार पर अतिरिक्त ₹50 करोड़ का जुर्माना लगाया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा टर्नओवर से जुर्माना तय करने की पद्धति को अस्वीकार कर दिया।
“राजस्व की उत्पत्ति का पर्यावरणीय क्षति पर लगने वाले जुर्माने से कोई संबंध नहीं है। कानून का शासन ‘पाउंड ऑफ फ्लेश’ निकालने की अनुमति नहीं देता, भले ही वह पर्यावरण मामलों में ही क्यों न हो।” – न्यायपीठ
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कोर्ट ने पहले के फैसलों, जैसे बेंज़ो केम इंडस्ट्रियल प्रा. लि. बनाम अरविंद महाजन और वारिस केमिकल्स प्रा. लि. बनाम यूपीपीसीबी का हवाला देते हुए कहा कि मुआवजा वैज्ञानिक पद्धति से तय होना चाहिए, न कि राजस्व आंकड़ों से।
- ₹50 करोड़ का जुर्माना रद्द – कोर्ट ने कहा कि टर्नओवर आधारित गणना का कोई कानूनी आधार नहीं है।
- निरंतर निगरानी जारी रहेगी – मीठे पानी का ऑडिट, अनुपालन जांच और पुनर्स्थापन उपाय लागू रहेंगे।
- बंद करने का आदेश रद्द – अनुपालन की पुष्टि होने के बाद इकाइयों को बंद करने का एनजीटी का आदेश निरस्त कर दिया गया।
- पीएमएलए निर्देश हटाए गए – कोर्ट ने माना कि एनजीटी को पीएमएलए के तहत ईडी को कार्रवाई का आदेश देने का अधिकार नहीं है।
2022 में की गई जांच और रिपोर्टों में यह पाया गया:
- संयंत्र के पास फसलों को कोई नुकसान नहीं हुआ और न ही वायुजनित रोगों में वृद्धि हुई।
- पानी के दोहन और उपयोग में मात्र 0.39% का अंतर दर्ज किया गया।
- अपशिष्ट और सीवेज शोधन के लिए उन्नत प्रणालियाँ स्थापित की गईं।
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कोर्ट ने जोर दिया कि भविष्य में उल्लंघन पाए जाने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त कार्रवाई कर सकते हैं, जिसमें बंद करने का नोटिस भी शामिल है।
सी.एल. गुप्ता एक्सपोर्ट लिमिटेड की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दंड हमेशा स्थापित पर्यावरणीय मुआवजा दिशा-निर्देशों के आधार पर होना चाहिए, न कि मनमाने गणना पर। यह फैसला दिखाता है कि औद्योगिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा का संतुलन केवल वैज्ञानिक और कानूनी पद्धतियों से ही संभव है।
मामला: सी.एल. गुप्ता एक्सपोर्ट लिमिटेड बनाम आदिल अंसारी एवं अन्य
मामला संख्या: सिविल अपील संख्या 2864/2022
निर्णय तिथि: 22 अगस्त 2025
पक्ष:
अपीलकर्ता: मेसर्स सी.एल. गुप्ता एक्सपोर्ट लिमिटेड (हस्तशिल्प निर्यात कंपनी, जिसमें लगभग 7,000 कर्मचारी कार्यरत हैं)
प्रतिवादी: आदिल अंसारी एवं अन्य (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं प्राधिकरण सहित)