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बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोवंडी हत्या-डकैती मामले में आठ साल से जेल में बंद आरोपी को दी जमानत

Vivek G.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2017 गोवंडी हत्या-डकैती मामले में आठ साल से जेल में बंद अशोककुमार गुप्ता को जमानत दी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोवंडी हत्या-डकैती मामले में आठ साल से जेल में बंद आरोपी को दी जमानत

एक अहम आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अशोककुमार बृजेशकुमार गुप्ता को जमानत दे दी है, जिन्हें 2017 के गोवंडी हत्या और डकैती मामले में आरोपी बनाया गया था। जस्टिस अमित बोरकर ने 4 सितंबर को आदेश सुनाते हुए कहा कि गुप्ता बिना मुकदमे के निष्कर्ष पर पहुंचे करीब आठ साल से जेल में हैं।

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पृष्ठभूमि

यह मामला 23 सितंबर 2017 का है, जब बैंगनवाड़ी, गोवंडी में एक राशन दुकान मालिक की पत्नी अपने घर में मृत पाई गई थी। उनके शरीर पर कई गंभीर चोटें थीं। घर अस्त-व्यस्त था और 3.4 लाख रुपये से अधिक के गहने व नकदी गायब पाई गई।

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अभियोग पक्ष का आरोप है कि गुप्ता, जो पहले उस दुकान में कर्मचारी था, को एक महीने पहले नौकरी से निकाल दिया गया था और इसी रंजिश के चलते उसने यह घटना अंजाम दी। गिरफ्तारी दो दिन बाद हुई और तभी से गुप्ता हिरासत में है।

हालाँकि आरोप बेहद गंभीर हैं-हत्या (धारा 302 आईपीसी), डकैती और घर में घुसपैठ तक-लेकिन मुकदमे की सुनवाई बेहद धीमी रही। 34 गवाहों में से अब तक सिर्फ 15 की गवाही हो पाई है।

अदालत की टिप्पणियाँ

जस्टिस बोरकर ने माना कि आरोप गंभीर हैं, लेकिन संवैधानिक अधिकारों पर भी समान ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा, “लंबे समय तक जेल में रहना और मुकदमा पूरा न होना, सजा से पहले सजा देने जैसा है, जो कानून में स्वीकार्य नहीं है।” अदालत ने यह भी दर्ज किया कि एक सह-आरोपी, जिस पर समान भूमिका का आरोप था, को मई में ही जमानत मिल चुकी है।

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अभियोजन का यह तर्क अदालत ने खारिज कर दिया कि जमानत मिलने पर केस खतरे में पड़ सकता है। न्यायाधीश ने कहा कि आठ साल की हिरासत में ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया कि गुप्ता ने गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की हो। अदालत ने कहा कि कड़ी शर्तें लगाकर ऐसे जोखिम से बचा जा सकता है।

फैसला

गंभीर आरोपों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के बीच संतुलन बनाते हुए हाईकोर्ट ने गुप्ता को 25,000 रुपये के निजी मुचलके और जमानती शर्तों के साथ रिहा करने का आदेश दिया। शर्तों में हर महीने अदालत में हाजिरी देना, महाराष्ट्र से बाहर न जाना और गवाहों को प्रभावित न करना शामिल है। जज ने साफ किया कि यह आदेश सिर्फ जमानत से जुड़ा है और केस के मेरिट्स (साक्ष्यों) पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। मुकदमे का फैसला केवल सबूतों के आधार पर ही होगा।

मामले का शीर्षक: अशोककुमार बृजेशकुमार गुप्ता बनाम महाराष्ट्र राज्य

आदेश की तिथि: 4 सितंबर 2025

मामले का प्रकार: जमानत आवेदन (सं. 2709/2025)

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