दिल्ली हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ दायर मानहानि याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई कथित मानहानिकारक पोस्ट को लेकर दायर की गई थी।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने याचिका इस आधार पर खारिज की कि दुबे के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि उनका फेसबुक पोस्ट पहले ही डिलीट कर दिया गया है। वहीं, देहाद्राई ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कहा कि वह भी अपने एक्स (X) पोस्ट को हटा देंगे।
“चूंकि प्रतिवादी संख्या 1 ने फेसबुक से अपनी पोस्ट हटा दी है और प्रतिवादी संख्या 2 ने भी 'X' से अपनी पोस्ट हटाने का आश्वासन दिया है, इसलिए इस याचिका में मांगी गई राहत अब विचारणीय नहीं रह जाती। अतः याचिका खारिज की जाती है।”
— दिल्ली हाईकोर्ट
यह याचिका देहाद्राई द्वारा एक्स पर किए गए एक कोट ट्वीट के संबंध में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि “डॉ. निशिकांत दुबे द्वारा दायर लोकपाल मामले में बम जैसा खुलासा।” वहीं, दुबे ने फेसबुक पर दावा किया था कि सीबीआई ने महुआ मोइत्रा के कथित विदेशी खातों और खर्चों के संबंध में मामला दर्ज किया है।
दुबे के वकील ने कहा कि यह पोस्ट महुआ की एक टिप्पणी के कारण की गई थी, जिसमें ‘पिटबुल’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था और यह टिप्पणी अपमानजनक थी। उन्होंने अनुरोध किया कि महुआ को ऐसे शब्दों के उपयोग से रोका जाए।
इसके जवाब में महुआ के वकील ने स्पष्ट किया कि ‘पिटबुल’ शब्द का उपयोग निशिकांत दुबे के लिए नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि जब महुआ किसी पोस्ट में दुबे को संबोधित करती हैं, तो वह उन्हें टैग करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके किसी भी पोस्ट में 'पिटबुल' शब्द दुबे के लिए नहीं था।
“वादी के बयान को रिकॉर्ड में लिया गया है और वह इससे बाध्य रहेंगी।”
— दिल्ली हाईकोर्ट
चूंकि महुआ मोइत्रा ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि 'पिटबुल' टिप्पणी दुबे के लिए नहीं थी, कोर्ट ने माना कि इस विषय में किसी प्रकार का निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है।
यह मामला 2023 में शुरू हुआ था, जब मोइत्रा ने दुबे और देहाद्राई के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इन दोनों ने झूठे आरोप लगाए कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के बदले रिश्वत ली। उन्होंने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया था कि इन दोनों और कुछ मीडिया संस्थानों को उनके खिलाफ कोई भी अपमानजनक बात प्रकाशित या प्रसारित करने से रोका जाए और इनसे तीन भाषाओं—अंग्रेज़ी, हिंदी और बांग्ला—में सार्वजनिक माफी मांगी जाए।
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याचिका में मोइत्रा ने एकतरफा अंतरिम राहत की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अपलोड की गई अपमानजनक पोस्ट, तस्वीरें, वीडियो, पत्र और प्रकाशनों को हटाने की अपील की थी।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को शिकायत पत्र लिखकर आरोप लगाया कि मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली। दुबे ने कहा कि यह आरोप उन्हें देहाद्राई द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर मिला।
इसके बाद मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राई और मीडिया हाउसों को कानूनी नोटिस भेजते हुए इन सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने कभी भी सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए किसी भी प्रकार का पैसा, उपहार या लाभ नहीं लिया।
यह मामला अब 17 जुलाई 2025 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।