04.08.2025 को पंजाब कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए मेडिकल रिपोर्ट्स (जैसे X-रे, NCCT, CT स्कैन और अल्ट्रासाउंड) में होने वाली देरी को लेकर गंभीर चिंता जताई, जो आपराधिक जांच के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कोर्ट ने कहा कि यह देरी न केवल जांच में बाधा डालती है बल्कि पीड़ितों और आरोपियों दोनों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, जिससे निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित होती है।
कोर्ट ने देखा कि जांच अधिकारियों को मेडिकल रिपोर्ट्स समय पर नहीं मिल पाती हैं, जिससे आपराधिक मामलों में अनावश्यक देरी होती है। यह लापरवाही पीड़ितों को समय पर न्याय मिलने से रोकती है और आरोपियों के त्वरित सुनवाई के अधिकार को भी प्रभावित करती है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि यह देरी या तो भ्रष्टाचार के कारण हो सकती है या सरकारी और अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण।
"यह न केवल अपराध के पीड़ित के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है बल्कि आरोपियों को निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई से वंचित करने के बराबर है।"
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स्वास्थ्य और पुलिस विभागों से आश्वासन
सुनवाई के दौरान, पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) के साथ एक बैठक करके मेडिकल रिपोर्ट्स को तुरंत एक पोर्टल पर अपलोड करने की व्यवस्था बनाएंगे, ताकि जांच अधिकारियों को इन रिपोर्ट्स की तत्काल पहुंच मिल सके। साथ ही, सचिव ने तीन दिनों के भीतर पंजाब के सभी सिविल सर्जनों को मौजूदा आदेशों का पालन करने का निर्देश देने का वादा किया।
कोर्ट ने पंजाब पुलिस की निगरानी में कमी को भी आड़े हाथों लिया, विशेष रूप से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (SSP) को, जो कानूनी रूप से मेडिकल रिपोर्ट्स को समय पर एकत्र करने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रश्न में मामले में, एक शिकायतकर्ता किरण का अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट 43 दिनों बाद मांगा गया था, जो स्पष्ट रूप से गंभीर लापरवाही का उदाहरण है।
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पुलिस महानिदेशक (DGP) पंजाब द्वारा जारी एक परिपत्र (संख्या 14/2025) के बावजूद, निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया। कोर्ट ने इसे दुराचार और लापरवाही बताते हुए तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
राज्य के वकील ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य सचिव,SSPs फाजिल्का और गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज, फरीदकोट के प्रिंसिपल भविष्य में ऐसी देरी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। इन अधिकारियों द्वारा अगली सुनवाई 18.08.2025 तक एक कार्रवाई रिपोर्ट व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से पेश की जाएगी।
इस बीच, याचिकाकर्ता लखविंदर सिंह @ लाखू को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया गया। यदि उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438(2)/BNSS, 2023 की धारा 482(2) के तहत अंतरिम जमानत दी जाएगी।
केस का शीर्षक: लखविंदर सिंह @ लक्खू बनाम पंजाब राज्य
केस नंबर: CRM-M-38083-2025