हाल के एक फैसले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल एक लड़का और लड़की के बीच मित्रता, लड़के को लड़की की सहमति के बिना यौन संबंध बनाने की कोई कानूनी छूट नहीं देती। यह टिप्पणी कोर्ट ने एक गंभीर POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते समय की।
न्यायमूर्ति गिरीश काथपालिया ने आदेश पारित करते हुए स्पष्ट रूप से कहा:
“…केवल इसलिए कि एक लड़की एक लड़के से मित्रता करती है, उसे उसके साथ उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाने की छूट नहीं दी जा सकती।”
यह मामला एक निर्माण श्रमिक मोहम्मद शाहिद उर्फ साहिद से जुड़ा था, जिस पर एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसला कर दोस्ती करने और नवंबर 2023 तक उसके साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी ने लड़की को फंसाकर उससे संबंध बनाए।
आरोपी ने यह तर्क दिया कि दोनों के बीच संबंध सहमति से थे और घटना के समय लड़की बालिग थी।
हालांकि, अदालत ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि नाबालिग की उम्र किसी भी वैध सहमति की संभावना को समाप्त कर देती है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि लड़की के शैक्षणिक दस्तावेजों के माध्यम से यह स्पष्ट हो चुका है कि वह घटना के समय नाबालिग थी।
आरोपी ने पीड़िता की मां की गवाही की एक पंक्ति पर भरोसा करते हुए जमानत मांगी, लेकिन कोर्ट ने सख्ती से कहा:
“पीड़िता की मां की गवाही की एक चुनी हुई पंक्ति को रिकॉर्ड पर मौजूद शेष सामग्री से अलग नहीं पढ़ा जा सकता।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सबूतों की गहराई से जांच नहीं की जा सकती। साथ ही यह भी कहा गया कि भले ही लड़की ने आरोपी से संवाद किया हो या उसकी बातों का जवाब दिया हो, इसे कानूनी सहमति नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया:
“मुझे यह मामला केवल इसलिए सहमति से बना संबंध नहीं लगता क्योंकि FIR में पीड़िता ने कहा कि आरोपी/आवेदक ने मीठी-मीठी बातों से उससे दोस्ती की।”
इन गंभीर आरोपों और पीड़िता की उम्र को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
केस का शीर्षक: मोहम्मद शाहिद @ साहिद बनाम दिल्ली राज्य (NCT) और Anr