Logo
Court Book - India Code App - Play Store

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की हत्या के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए आदेश, पुलिस और सीआईडी की लापरवाही पर जताई नाराज़गी

19 Apr 2025 5:01 PM - By Prince V.

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की हत्या के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए आदेश, पुलिस और सीआईडी की लापरवाही पर जताई नाराज़गी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कोलार ज़िले के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एम. श्रीनिवास की हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने इस मामले में स्थानीय पुलिस और अपराध जांच विभाग (CID) की जांच को बेहद लापरवाह और खामियों से भरा बताते हुए कड़ी फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि जिस तरह से इस मामले की जांच की गई है, उसने न्याय व्यवस्था में आम जनता का भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा —

Read Also:- कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया समेत अन्य को MUDA घोटाले की जांच याचिका पर नोटिस जारी किया

इस तरह के मामलों में, जिसमें दिनदहाड़े हत्या का आरोप है, जांच इतनी लापरवाही से नहीं की जा सकती, जैसी कि इस मामले में की गई। अगर जांच में हुई भारी चूक पर गौर किया जाए तो इसमें जरा भी विश्वास करने की गुंजाइश नहीं बचती। न्याय की आत्मा खतरे में पड़ जाती है जब न्याय की जिम्मेदारी संभालने वाले ही इतनी बड़ी चूक कर बैठते हैं।

यह मामला 23 अक्टूबर 2023 को हुई एक दर्दनाक घटना से जुड़ा है, जब एम. श्रीनिवास पर एक निर्माण स्थल के पास दिनदहाड़े हमला हुआ। उनके ड्राइवर की शिकायत के अनुसार, करीब छह लोग बाइकों पर वहां पहुंचे और अपने साथ एक सीमेंट बैग लेकर आए। एक व्यक्ति ने श्रीनिवास से हाथ मिलाने के बहाने उन्हें पास बुलाया, तभी दूसरे ने उनके चेहरे पर पेपर स्प्रे कर दिया। इसके बाद, उन लोगों ने सीमेंट बैग से चाकू और तलवारें निकालकर श्रीनिवास पर हमला कर दिया। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया लेकिन दोपहर करीब 1:50 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।

श्रीनिवास की पत्नी डॉ. एस. चंद्रकला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जांच पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने अदालत को बताया कि उनके पति एक राजनीतिक व्यक्ति थे और उनके कई दुश्मन थे। उन्होंने आशंका जताई कि यह हत्या "सुपारी देकर" कराई गई थी। साथ ही उन्होंने स्थानीय पुलिस पर राजनीतिक दबाव का भी आरोप लगाया और निष्पक्ष जांच के लिए केस सीबीआई को सौंपने की मांग की।

Read Also:- कर्नाटक हाईकोर्ट ने बच्चे की हत्या के आरोप में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए प्रवासी मज़दूर का पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया

अदालत ने जांच के दौरान सामने आई चूक पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट के मुताबिक, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान धारा 161 सीआरपीसी के तहत हत्या के पांच दिन बाद दर्ज किए गए और धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करने में सोलह दिन की देरी हुई।

इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी पाया कि जांच अधिकारीयों ने आरोपियों के बताए अनुसार तालाब के पास फेंके गए हथियारों को बरामद करने में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। हथियारों की बरामदगी बहुत देरी से CID द्वारा की गई, जबकि कई जरूरी कदम जैसे आरोपियों के खून से सने कपड़े जब्त करना और संबंधित स्थानों से सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करना या तो देर से किया गया या बिल्कुल ही छोड़ दिया गया।

स्थानीय पुलिस और सीआईडी, दोनों ने जांच में इस कदर लापरवाही बरती कि जरा भी भरोसा नहीं किया जा सकता। हत्या जैसे गंभीर मामलों में ऐसी लापरवाही से की गई जांच से जनता का विश्वास भी बुरी तरह हिल जाता है,अदालत ने टिप्पणी की।

अदालत ने यह भी दर्ज किया कि विशेष लोक अभियोजक ने खुद यह स्वीकार किया कि जांच बेहद खराब तरीके से की गई।

यह बेहद अफसोसजनक है कि हत्या जैसे मामले में इस तरह से जांच की जा रही है। मैं राज्य का विशेष लोक अभियोजक होने के बावजूद इस जांच का बचाव नहीं कर सकता, अभियोजक ने कोर्ट में कहा।

साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि सीआईडी, स्वतंत्र जांच एजेंसी के रूप में नहीं देखी जा सकती क्योंकि यह राज्य पुलिस का ही एक हिस्सा है। अदालत ने यह फैसला सुनाया कि इस मामले में स्वतंत्र एजेंसी द्वारा नए सिरे से जांच कराना ज़रूरी है।

Read Also:- कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला: स्वीकृत पद पर 10 साल से अधिक सेवा देने वाले दिहाड़ी कर्मचारी को स्थायी नियुक्ति का हक, प्रक्रिया में देरी का तर्क खारिज

"मौजूदा परिस्थितियों में और जांच की गुणवत्ता को देखते हुए यह मामला उन उदाहरणों में से एक है, जिनमें जांच सीबीआई को सौंपना अनिवार्य है। यह आदेश सिर्फ आगे की जांच के लिए नहीं बल्कि नए सिरे से जांच के लिए दिया जा रहा है, क्योंकि स्थानीय पुलिस और सीआईडी दोनों ने सच्चाई को ढूंढने के बजाय उसे गहरे पानी में डुबो दिया है," अदालत ने कहा।

इन तीखी टिप्पणियों के साथ अदालत ने डॉ. चंद्रकला की याचिका स्वीकार कर ली और सीबीआई को इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया।

मामले का शीर्षक :
डॉ. एस. चंद्रकला बनाम राज्य कर्नाटक एवं अन्य
मामला संख्या: रिट याचिका संख्या 24360 / 2024

Similar Posts

सुप्रीम कोर्ट ने मदुरै-तूतीकोरिन राजमार्ग पर टोल वसूली रोकने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मदुरै-तूतीकोरिन राजमार्ग पर टोल वसूली रोकने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई

9 Jun 2025 2:03 PM
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट: क्राइम ब्रांच की क्लीयरेंस लंबित होने पर सेवानिवृत्ति लाभ रोके नहीं जा सकते

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट: क्राइम ब्रांच की क्लीयरेंस लंबित होने पर सेवानिवृत्ति लाभ रोके नहीं जा सकते

15 Jun 2025 7:54 PM
CJI बीआर गवई: कोटा के भीतर उप-वर्गीकरण सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है

CJI बीआर गवई: कोटा के भीतर उप-वर्गीकरण सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है

11 Jun 2025 5:30 PM
धारा 24 हिंदू विवाह अधिनियम | दूसरी शादी में अंतरिम भरण-पोषण तय करने में पहली शादी का तथ्य अप्रासंगिक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

धारा 24 हिंदू विवाह अधिनियम | दूसरी शादी में अंतरिम भरण-पोषण तय करने में पहली शादी का तथ्य अप्रासंगिक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

6 Jun 2025 6:26 PM
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने विवाह के बहाने बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को पीड़िता से विवाह करने हेतु अंतरिम ज़मानत दी

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने विवाह के बहाने बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को पीड़िता से विवाह करने हेतु अंतरिम ज़मानत दी

12 Jun 2025 3:21 PM
आपसी सहमति से तलाक के दौरान भत्ते का अधिकार छोड़ने वाली पत्नी बदलते हालात में फिर से रख-रखाव की मांग कर सकती है: केरल हाईकोर्ट

आपसी सहमति से तलाक के दौरान भत्ते का अधिकार छोड़ने वाली पत्नी बदलते हालात में फिर से रख-रखाव की मांग कर सकती है: केरल हाईकोर्ट

12 Jun 2025 4:47 PM
"शादी को परिवारों ने मंजूरी दी थी, राज्य की कोई भूमिका नहीं": सुप्रीम कोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह मामले में जमानत दी

"शादी को परिवारों ने मंजूरी दी थी, राज्य की कोई भूमिका नहीं": सुप्रीम कोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह मामले में जमानत दी

11 Jun 2025 6:32 PM
60 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के दोषी 24 वर्षीय युवक की सज़ा दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखी, कहा – स्पष्ट डीएनए रिपोर्ट के होते इलेक्ट्रोफेरोग्राम ज़रूरी नहीं

60 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के दोषी 24 वर्षीय युवक की सज़ा दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखी, कहा – स्पष्ट डीएनए रिपोर्ट के होते इलेक्ट्रोफेरोग्राम ज़रूरी नहीं

11 Jun 2025 3:15 PM
दूसरी पत्नी को नामित किए जाने पर अनुकंपा नियुक्ति का हक़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

दूसरी पत्नी को नामित किए जाने पर अनुकंपा नियुक्ति का हक़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

15 Jun 2025 6:06 PM
SC का ऐतिहासिक फैसला: CrPC के तहत पीड़ितों को अपील करने का स्वतंत्र अधिकार है

SC का ऐतिहासिक फैसला: CrPC के तहत पीड़ितों को अपील करने का स्वतंत्र अधिकार है

6 Jun 2025 4:01 PM