Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया, भूमि मालिकों के मुआवजे पर नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया

Shivam Y.

कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड (अब कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है) बनाम विनोद और अन्य। आदि - सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसमिशन लाइन भूमि मुआवजे पर पंजाब और हरियाणा HC के आदेश को रद्द कर दिया; नए सिरे से सुनवाई का निर्देश देता है और कानूनी सुधारों का आह्वान करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया, भूमि मालिकों के मुआवजे पर नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के सोनीपत और झज्जर जिलों की भूमि से जुड़े मुआवज़े के मामलों में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया है। यह मामला बिजली ट्रांसमिशन टावरों के लिए भूमि के उपयोग से संबंधित था। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंधरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने 19 अगस्त 2025 को यह निर्णय सुनाया।

Read in English

मामले की पृष्ठभूमि

विवाद की शुरुआत 400 केवी झज्जर पावर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट से हुई, जिसे हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) ने शुरू किया था। वर्ष 2010 में यह प्रोजेक्ट झज्जर केटी ट्रांसको प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया, जिसने आगे कलपतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड को सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया। यह ट्रांसमिशन लाइन चार जिलों में लगभग 100 किलोमीटर तक फैली। भूमि मालिकों ने तर्क दिया कि भले ही ज़मीन का स्वामित्व नहीं लिया गया, लेकिन टावरों और हाई-वोल्टेज लाइनों की वजह से उनकी भूमि का उपयोग लगभग असंभव हो गया और उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं दिया गया।

Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने एर्नाकुलम - त्रिशूर राजमार्ग पर टोल निलंबित करने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा

साल 2023 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ज़मीन मालिकों को टावरों के नीचे की भूमि के लिए कलेक्टर रेट का 85% और ट्रांसमिशन लाइनों के नीचे की ज़मीन (राइट ऑफ वे) के लिए 15% मुआवज़ा देने का आदेश दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट ने ज़्यादातर तथ्य सोनीपत के मामलों से लिए और उन्हें झज्जर पर भी समान रूप से लागू कर दिया। पीठ ने कहा कि यह “वन-साइज़-फिट्स-ऑल” तरीका गलत है।

न्यायमूर्ति बिंदल ने टिप्पणी की:

"पूरे ट्रांसमिशन कॉरिडोर के लिए समान दर लागू करना उचित तरीका नहीं हो सकता, क्योंकि भूमि की प्रकृति अलग-अलग है - कहीं कृषि भूमि है तो कहीं हाईवे के पास की ज़मीन।"

Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक का मामला बहाल किया, कहा पेट्रोल पंप भूमि विवाद में सिविल कोर्ट को है अधिकार

दोनों पक्षों की दलीलें

ठेकेदारों का कहना था कि हाईकोर्ट द्वारा दिया गया मुआवज़ा अत्यधिक है और किसी ठोस साक्ष्य पर आधारित नहीं है। वहीं ज़मीन मालिकों ने ज़ोर दिया कि टावरों के नीचे की भूमि के लिए उन्हें 100% मुआवज़ा मिलना चाहिए और ट्रांसमिशन लाइन से प्रभावित भूमि के लिए भी अधिक भुगतान होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिजली मंत्रालय की 2015 की गाइडलाइंस इस मामले पर स्वतः लागू नहीं हो सकतीं, क्योंकि ये परियोजना शुरू होने के बाद जारी हुई थीं और हरियाणा सरकार ने इन्हें औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश क़ानून के अनुसार टिक नहीं सकता और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए वापस भेज दिया। अदालत ने यह भी इंगित किया कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत मुआवज़े से संबंधित विवादों में कोई अपील का प्रावधान नहीं है। पीठ ने विधि आयोग और कानून मंत्रालय से सुझाव मांगा कि ऐसे मामलों में अपील का कानूनी प्रावधान होना चाहिए।

Read also:- कलकत्ता हाईकोर्ट ने मणि स्क्वायर लिमिटेड को पिरामल फाइनेंस के साथ ऋण विवाद में अंतरिम राहत दी

न्यायालय ने जिलों में ऐसे मामलों की पंजीकरण प्रक्रिया में एकरूपता लाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

यह निर्णय उन सभी भूमि मालिकों और ठेकेदारों के लिए महत्वपूर्ण है जो बिजली अवसंरचना परियोजनाओं से प्रभावित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुआवज़ा तय करने के लिए साक्ष्य-आधारित और क्षेत्र विशेष के अनुसार मूल्यांकन होना चाहिए। साथ ही सरकार को 1885 के पुराने क़ानून में सुधार करने का संकेत भी दिया गया है।

अब मामला नए सिरे से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट जाएगा।

केस का शीर्षक:- कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड (अब कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है) बनाम विनोद और अन्य। वगैरह।

Advertisment

Recommended Posts

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट विवाद डिक्री बहाल की, पक्षों को रुख बदलने पर फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट विवाद डिक्री बहाल की, पक्षों को रुख बदलने पर फटकार

15 Aug 2025 1:20 PM
तलाक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ससुर पर दहेज उत्पीड़न का मामला किया खत्म

तलाक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ससुर पर दहेज उत्पीड़न का मामला किया खत्म

13 Aug 2025 8:48 AM
सुप्रीम कोर्ट ने मोहन डेलकर आत्महत्या मामले में दर्ज एबेटमेंट केस को खारिज करने का आदेश बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मोहन डेलकर आत्महत्या मामले में दर्ज एबेटमेंट केस को खारिज करने का आदेश बरकरार रखा

18 Aug 2025 12:33 PM
ओडिशा हाई कोर्ट ने 2014 प्लेसमेंट नियमों के तहत प्रोन्नति से वंचित व्याख्याता को राहत प्रदान की

ओडिशा हाई कोर्ट ने 2014 प्लेसमेंट नियमों के तहत प्रोन्नति से वंचित व्याख्याता को राहत प्रदान की

14 Aug 2025 6:34 PM
अयोध्या राजस्व मामले में न्याय में देरी के लिए बार एसोसिएशन की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया

अयोध्या राजस्व मामले में न्याय में देरी के लिए बार एसोसिएशन की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया

18 Aug 2025 12:17 PM
कर्नाटक हाईकोर्ट ने योगेश गौड़ा हत्या मामले में आरोपी की जमानत रद्द की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने योगेश गौड़ा हत्या मामले में आरोपी की जमानत रद्द की

20 Aug 2025 11:45 AM
18–22 अगस्त 2025 के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी की चेंबर मामलों की अग्रिम सूची

18–22 अगस्त 2025 के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी की चेंबर मामलों की अग्रिम सूची

16 Aug 2025 11:27 AM
सुप्रीम कोर्ट: गैर-हस्ताक्षरकर्ता मामले के निपटारे के बाद आर्बिट्रेशन सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते

सुप्रीम कोर्ट: गैर-हस्ताक्षरकर्ता मामले के निपटारे के बाद आर्बिट्रेशन सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते

14 Aug 2025 12:57 PM
पंजाब सरकार ने जेल सुरक्षा पर प्रगति रिपोर्ट सौंपी, एसआईटी की रिपोर्ट अदालत में दाखिल

पंजाब सरकार ने जेल सुरक्षा पर प्रगति रिपोर्ट सौंपी, एसआईटी की रिपोर्ट अदालत में दाखिल

19 Aug 2025 11:06 AM
पंजाब कोर्ट ने आपराधिक जांच में मेडिकल रिपोर्ट्स की देरी पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया

पंजाब कोर्ट ने आपराधिक जांच में मेडिकल रिपोर्ट्स की देरी पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया

13 Aug 2025 3:19 PM