मलयालम फिल्म निर्देशक रंजीत बालकृष्णन को बड़ी राहत देते हुए केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को एक बंगाली अभिनेत्री द्वारा दायर यौन उत्पीड़न का मामला यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शिकायत दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई थी। अदालत ने माना कि ट्रायल कोर्ट को इस मामले की संज्ञान लेने का अधिकार नहीं था क्योंकि यह घटना के लगभग 15 साल बाद दर्ज की गई थी।
पृष्ठभूमि
यह शिकायत 2024 में दर्ज की गई थी, जिसमें रंजीत पर आरोप था कि उन्होंने 2009 में एक फिल्म प्रोजेक्ट पर चर्चा के बहाने अभिनेत्री को अपने अपार्टमेंट बुलाया और वहां अनुचित हरकत की कोशिश की। अभिनेत्री की शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करना) और धारा 509 (महिला की लज्जा का अपमान करने वाले शब्द या इशारे) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
अभिनेत्री ने यह शिकायत जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट सामने आने के बाद दर्ज कराई थी, जिसमें मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में व्याप्त यौन शोषण और भेदभाव का खुलासा हुआ था।
रंजीत के वकील एडवोकेट संथीप अंकारथ और शेरी एम.वी. ने दलील दी कि शिकायत फौजदारी दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 468 के तहत समय सीमा से बाहर है, जो यह निर्धारित करती है कि जिन अपराधों की अधिकतम सजा दो वर्ष तक है, उनका संज्ञान तीन वर्ष से अधिक समय बाद नहीं लिया जा सकता।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति सी. प्रथीप कुमार ने सुनवाई के दौरान इस दलील को सही ठहराया। पीठ ने कहा,
“चूंकि धारा 354 और 509 आईपीसी के तहत अधिकतम सजा केवल दो वर्ष थी, इसलिए मजिस्ट्रेट 15 वर्ष से अधिक देरी के बाद संज्ञान लेने के लिए उचित नहीं था।”
अदालत ने यह भी कहा कि मजिस्ट्रेट की कार्रवाई वैधानिक सीमा अवधि का उल्लंघन थी, जिससे यह कार्यवाही कानूनी रूप से अस्थिर हो जाती है।
निर्णय
रंजीत की याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 528 के तहत अपने अधिकारों का उपयोग कर एरनाकुलम की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
इस फैसले के साथ निर्देशक के खिलाफ यह पुराना मामला समाप्त हो गया है, जिससे उन्हें वर्षों पुरानी विवादों से कानूनी राहत मिल गई है।
Case Title: Ranjith Balakrishnan v State of Kerala










