बौद्धिक संपदा (Intellectual Property IP) विवादों पर एक अहम फैसले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि उल्लंघन लगातार जारी है तो मुकदमा दायर करने में देरी होने से आपात स्थिति (urgency) खत्म नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने डेनमार्क की कंपनी नोवेंको बिल्डिंग एंड इंडस्ट्री A/S का पेटेंट मामला बहाल कर दिया, जिसे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कॉमर्शियल कोर्ट्स एक्ट, 2015 की धारा 12A के तहत अनिवार्य पूर्व-मध्यस्थता प्रक्रिया (pre-institution mediation) न अपनाने के कारण खारिज कर दिया था।
पृष्ठभूमि
नोवेंको, अपने “ZerAx” ब्रांड के हाई-इफिशिएंसी इंडस्ट्रियल फैन बनाने के लिए जानी जाती है। कंपनी ने 2017 में ज़ीरो एनर्जी इंजीनियरिंग सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड (Xero Energy) के साथ डीलरशिप समझौता किया था। बाद में नोवेंको को पता चला कि Xero के डायरेक्टर ने एक नई कंपनी- एयरोनॉट फैंस इंडस्ट्री प्रा. लि. - बनाई है, जो लगभग एक जैसे फैन धोखाधड़ी से मिलते-जुलते नामों के तहत बेच रही है।
कई सीज़-एंड-डिसिस्ट नोटिस (cease-and-desist notice) भेजने और तकनीकी निरीक्षण में उल्लंघन की पुष्टि के बाद, नोवेंको ने जून 2024 में कॉमर्शियल सूट दाखिल किया और अंतरिम निषेधाज्ञा (injunction) की मांग की। इसके साथ ही उसने पूर्व-मध्यस्थता प्रक्रिया से छूट मांगी, यह कहते हुए कि मामला “आपात राहत” (urgent interim relief) का है।
लेकिन, हाईकोर्ट की एकलपीठ और बाद में डिवीजन बेंच- दोनों ने यह कहते हुए मामला खारिज कर दिया कि दिसंबर 2023 में निरीक्षण और जून 2024 में मुकदमे के बीच छह महीने की देरी से “आपात स्थिति” साबित नहीं होती।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने इस दृष्टिकोण से असहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि बौद्धिक संपदा के सतत उल्लंघन वाले मामलों में नुकसान की गिनती शुरुआत से नहीं बल्कि हर नए उल्लंघन के साथ होती है।
“आपात स्थिति,” पीठ ने कहा, “कारण की उम्र में नहीं, बल्कि खतरे की निरंतरता में निहित होती है।”
न्यायाधीशों ने माना कि नोवेंको की संपत्ति हर बिक्री के साथ प्रभावित हो रही थी, इसलिए आपात स्थिति “स्वयं उल्लंघन के स्वरूप में अंतर्निहित” थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसमें जनहित का पहलू भी जुड़ा है, क्योंकि नकल “उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा करती है” और “बाज़ार की साख को धूमिल करती है।”
कोर्ट ने साफ कहा कि धारा 12A को इस तरह नहीं पढ़ा जा सकता कि वह उल्लंघन करने वालों को प्रक्रिया के नाम पर सुरक्षा दे। जहां वास्तविक आपात स्थिति हो, वहां पूर्व-मध्यस्थता से छूट उचित है।
“ऐसे मामलों में पूर्व-मध्यस्थता पर जोर देना, वादी को व्यावहारिक रूप से निःसहाय कर देना होगा,” कोर्ट ने टिप्पणी की।
निर्णय
28 अगस्त और 13 नवंबर 2024 के हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया और नोवेंको का मुकदमा पुनः बहाल कर दिया।
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निर्णय में कोर्ट ने माना कि:
- बौद्धिक संपदा के उल्लंघन से जुड़े मामलों में आपात स्थिति का आकलन चल रहे नुकसान और जनहित के आधार पर होना चाहिए।
- यदि उल्लंघन जारी है, तो केवल देरी से मुकदमा दायर करने से आपात स्थिति खत्म नहीं होती।
अंत में कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट मुकदमे की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ाए।
“जब नकल को नवाचार के रूप में पेश किया जाता है, तो अदालतें आंखें नहीं मूंद सकतीं,” पीठ ने कहा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि धारा 12A के तहत “आपात राहत” का आकलन कैसे किया जाना चाहिए।
Case: Novenco Building and Industry A/S vs. Xero Energy Engineering Solutions Pvt. Ltd. & Anr.
Citation: 2025 INSC 1256 (decided on October 27, 2025)










