दिनांक 31 जुलाई 2025 को केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में SmartCity (Kochi) Infrastructure Pvt. Ltd. द्वारा Musthafa & Almana International Consultants के खिलाफ दायर किराया नियंत्रण याचिका को वैध ठहराया। यह फैसला SEZ अधिनियम, 2005 और केरल बिल्डिंग्स (लीज एंड रेंट कंट्रोल) अधिनियम, 1965 (KBLR Act) के बीच अधिकार क्षेत्र की बहस को स्पष्ट करता है।
मामले की पृष्ठभूमि
स्मार्टसिटी कंपनी ने एक निजी SEZ के भीतर वाणिज्यिक परिसर मुस्तफा एंड अलमाना को किराए पर दिया था। किराया चुकाने में चूक के बाद, स्मार्टसिटी ने धारा 11(2)(a) और (b) के तहत किराया नियंत्रण अदालत में बेदखली की कार्यवाही शुरू की।
"कई नोटिस भेजने के बाद भी किराया न चुकाने पर याचिकाकर्ता को अदालत का सहारा लेना पड़ा," – [कोर्ट ने टिप्पणी की]
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मुस्तफा एंड अलमाना की ओर से यह दलील दी गई कि:
- SEZ अधिनियम की धाराएं 42 और 51 के अनुसार, यह विवाद सिर्फ मध्यस्थता से हल किया जा सकता है।
- धारा 42 कहती है कि SEZ क्षेत्र के विवादों को केवल मध्यस्थता के जरिए निपटाना चाहिए, जब तक कि सरकार कोई विशेष न्यायालय न अधिसूचित करे।
- दोनों पक्षों के बीच लीज समझौते में मध्यस्थता का क्लॉज है।
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- कोई विशेष न्यायालय अधिसूचित नहीं है: चूंकि अब तक SEZ अधिनियम की धारा 23 के तहत कोई विशेष न्यायालय घोषित नहीं हुआ, और मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू नहीं हुई, इसलिए मामला किराया नियंत्रण न्यायालय में सुनवाई योग्य है।
- मध्यस्थता क्लॉज निष्क्रिय है: लीज समझौते में भले ही मध्यस्थता का प्रावधान हो, लेकिन दोनों पक्षों ने उसे कभी लागू नहीं किया।
- KBLR अधिनियम लागू रहेगा: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SEZ क्षेत्र में भी केरल रेंट कंट्रोल एक्ट लागू रहता है, क्योंकि SEZ अधिनियम किरायेदारी या बेदखली की कोई प्रक्रिया नहीं बताता।
- PPEUO अधिनियम लागू नहीं होता: कोर्ट ने माना कि यह परिसर एक निजी SEZ है और Public Premises (Eviction of Unauthorized Occupants) Act, 1971 यहां लागू नहीं होता, क्योंकि केंद्र सरकार की इसमें 51% हिस्सेदारी नहीं है।
“यह परिसर निजी SEZ है, इसलिए PPEUO अधिनियम यहां लागू नहीं हो सकता,” – रेंट कंट्रोल कोर्ट ने निर्णय में कहा।
- विधायी सिद्धांतों का संदर्भ: कोर्ट ने 'सद्भावपूर्वक व्याख्या' और क़ानूनों के टकराव की स्थिति में केंद्रीय क़ानून की प्रधानता जैसे सिद्धांतों का भी परीक्षण किया।
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कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि:
"SEZ अधिनियम की धाराएं 23, 42 और 51 इस याचिका पर रोक नहीं लगातीं। इसलिए रेंट कंट्रोल याचिका पूरी तरह वैध है।" – केरल हाई कोर्ट
मामले का विवरण – मुस्तफा और अलमाना इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स बनाम स्मार्टसिटी (कोच्चि) इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
मामले का प्रकार: मूल याचिका (किराया नियंत्रण)
मामला संख्या: ओ.पी. (आरसी) संख्या 134/2025
संबंधित किराया मामला: आर.सी.पी. संख्या 134/2020
निर्णय तिथि: 31 जुलाई 2025
याचिकाकर्ता: मुस्तफा और अलमाना इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स
प्रतिवादी: स्मार्टसिटी (कोच्चि) इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड