केरल हाईकोर्ट ने यूथ कांग्रेस कार्यकर्ता शुहैब की हत्या से संबंधित चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हिकृष्णन ने 4 जून को उस याचिका के जवाब में दिया जो शुहैब के माता-पिता और मामले के मुख्य गवाहों द्वारा दायर की गई थी।
अदालती रिकॉर्ड के अनुसार, यह मुकदमा थालास्सेरी की अतिरिक्त सत्र न्यायालय-III में चल रहा था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा लोक अभियोजक की निष्पक्षता पर सवाल उठाए क्योंकि उनका कथित रूप से सत्तारूढ़ सीपीआई(एम) पार्टी से संबंध बताया गया है।
शुहैब, जो यूथ कांग्रेस के एक सक्रिय युवा कार्यकर्ता थे, की निर्मम हत्या 12 फरवरी 2018 को मट्टनूर, कन्नूर जिले में कर दी गई थी। उन पर कथित रूप से सीपीआई(एम) कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया था। मामले के दस्तावेजों के अनुसार, उनके शरीर पर 29 गंभीर चोटें पाई गई थीं। उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।
अपनी याचिका में शुहैब के माता-पिता ने अदालत को बताया कि उन्हें मौजूदा लोक अभियोजक पर विश्वास नहीं है क्योंकि उनका राजनीतिक जुड़ाव है। उन्होंने मांग की कि एक स्वतंत्र और विश्वसनीय विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति की जाए। उन्होंने इस भूमिका के लिए अधिवक्ता के. पद्मनाभ का नाम सुझाया।
"वर्तमान अभियोजक पर हमारा कोई विश्वास नहीं है क्योंकि उनका राजनीतिक संबंध है," याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया।
"हमारी मांग केवल निष्पक्ष सुनवाई की है, वह भी ऐसे व्यक्ति के द्वारा जिस पर हम भरोसा कर सकें," उन्होंने जोड़ा।
अदालत ने उनकी याचिका पर गंभीरता से विचार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह छह सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय ले। तब तक मुकदमे की कार्यवाही स्थगित रहेगी।
"राज्य सरकार छह सप्ताह में सुझाए गए विशेष अभियोजक की नियुक्ति पर विचार करे," अदालत ने आदेश दिया।
"तब तक मुकदमे की सुनवाई स्थगित रहेगी," न्यायमूर्ति कुन्हिकृष्णन ने आगे कहा।
यह याचिका अधिवक्ता आसफ़ अली टी. और ललीज़ा टी. वाई. द्वारा दायर की गई थी, जो पीड़ित परिवार और मुख्य गवाहों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
इस मामले का आधिकारिक शीर्षक है सी. पी. मुहम्मद एवं अन्य बनाम केरल राज्य एवं अन्य, और इसका केस नंबर है WP(Crl.) 480/2025।
यह घटनाक्रम एक संवेदनशील राजनीतिक मामले में महत्वपूर्ण मोड़ दर्शाता है, जो 2018 से ही जनसामान्य और मीडिया के ध्यान में रहा है। अदालत का यह हस्तक्षेप सुनवाई की निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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"न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए," याचिकाकर्ताओं ने जोर देते हुए कहा, जो न्यायिक पारदर्शिता के लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांत को दर्शाता है।
अब इस मामले में अगली अपडेट तब आएगी जब राज्य सरकार विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति पर अपना निर्णय अदालत को बताएगी, जैसा कि अदालत ने निर्देशित किया है।
केस का शीर्षक: सी.पी. मुहम्मद और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य
केस संख्या: WP(Crl.) 480/ 2025