मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भगवान कृष्ण का अपमान करने वाले कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट से जुड़े एफआईआर को बंद कर दिया गया था। यह मामला पी. परमसीवन की शिकायत पर शुरू हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सतीश कुमार ने भगवान कृष्ण की एक छेड़छाड़ की गई तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्हें महिलाओं को स्नान करते हुए देख रहे रूप में दिखाया गया था, और उसके साथ आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की गई थीं। शिकायत में कहा गया था कि यह कृत्य हिंदू देवी-देवताओं और महिलाओं का अपमान करने तथा साम्प्रदायिक तनाव भड़काने के इरादे से किया गया।
शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (धारा 298, 504, 505(2)) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (धारा 67) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। तूतीकोरिन साइबर क्राइम पुलिस ने फेसबुक (मेटा) से उपयोगकर्ता की जानकारी मांगी, लेकिन मेटा ने म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी (MLAT) के बिना जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने मामले को “अज्ञात” कहकर बंद कर दिया। अदालत ने पाया कि पुलिस ने आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी सरकारी माध्यम से और प्रयास नहीं किए, जबकि प्रोफ़ाइल पर व्यक्तिगत विवरण स्पष्ट रूप से मौजूद थे।
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न्यायमूर्ति के. मुरली शंकर ने कहा:
"भगवानों का अपमानजनक चित्रण कर, करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना उचित नहीं है। ऐसे कृत्य साम्प्रदायिक वैमनस्य, धार्मिक आक्रोश और सामाजिक अशांति को जन्म दे सकते हैं।"
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अदालत ने यह भी पाया कि मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए मामला बंद कर दिया कि शिकायतकर्ता उपस्थित नहीं हुए या आपत्ति नहीं दी, जबकि रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से आपत्ति दर्ज होना दिखाया गया। पूर्ण पीठ के निर्णय का हवाला देते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि “अज्ञात” रिपोर्ट केवल अंतरिम होती है और जांच जारी रहनी चाहिए।
मामले का समापन आदेश रद्द करते हुए, अदालत ने पुलिस को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया और कहा कि धार्मिक भावनाओं से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता और ईमानदारी से जांच जरूरी है।
केस का शीर्षक:- पी. परमसिवन बनाम पुलिस निरीक्षक, साइबर अपराध पुलिस स्टेशन, थूथुकुडी
केस संख्या:- Crl.R.C.(MD) No. 526 of 2025