मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नीट-यूजी 2025 की परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने से प्रभावित छात्रों को फिर से परीक्षा देने की अनुमति दी है। यह आदेश उन याचिकाकर्ताओं पर लागू होगा जिन्होंने 3 जून 2025 को उत्तर कुंजी जारी होने से पहले कोर्ट में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति सुभोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने यह निर्णय दिया। कोर्ट ने माना कि बिजली कटौती की वजह से छात्र बिना किसी गलती के नुकसान में रहे, जो अनुच्छेद 14 के तहत असमानता है।
“यह न्यायालय इस विचार पर है कि याचिकाकर्ता बिना अपनी गलती के प्रतिकूल स्थिति में आ गए, जबकि अन्य केंद्रों पर परीक्षा सही परिस्थितियों में हुई।”
यह परीक्षा 4 मई 2025 को दोपहर 2 से 5 बजे तक देशभर में आयोजित हुई थी। इंदौर और उज्जैन के कई केंद्रों पर भारी आंधी-तूफान के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हुई। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि न तो बैकअप व्यवस्था थी, न ही प्राकृतिक प्रकाश पर्याप्त था। इससे उनकी परीक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने न्यायालय की लाइट बंद कर यह जांच की कि कम रोशनी में परीक्षा देना कितना कठिन हो सकता है। अदालत ने माना कि सभी परीक्षा केंद्रों में बड़े खिड़की-दरवाजे नहीं होते और मौसम की स्थिति भी पढ़ाई में बाधा बनती है।
“तीन घंटे की परीक्षा में यदि छात्र को दस मिनट भी अंधेरे में लिखना पड़े, तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और पूरा पेपर प्रभावित हो सकता है।”
एनटीए द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में कहा गया कि औसतन सभी छात्रों ने लगभग समान संख्या में प्रश्न हल किए, इसलिए प्रदर्शन पर असर नहीं पड़ा। लेकिन कोर्ट ने इसे केवल आंकड़ों के आधार पर फैसला मानने से इंकार कर दिया।
“मानव भावना और तनाव को आंकड़ों से नहीं मापा जा सकता। परीक्षा के दौरान की स्थिति को समझना जरूरी है।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुनः परीक्षा केवल उन्हीं छात्रों के लिए होगी जिन्होंने 3 जून 2025 से पहले याचिका दायर की थी। ऐसे छात्रों की रैंक केवल पुनः परीक्षा के परिणामों पर आधारित होगी।
“पुनः परीक्षा का परिणाम ही याचिकाकर्ताओं की अंतिम रैंक निर्धारण का आधार होगा। काउंसलिंग इसी पर निर्भर करेगी।”