Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने छात्रा द्वारा दायर NEET OMR शीट विवाद याचिका खारिज की

Prince V.

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने दुडे़कुला शमीरा की NEET OMR शीट में छेड़छाड़ के आरोप वाली याचिका को सबूतों की कमी के कारण खारिज कर दिया।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने छात्रा द्वारा दायर NEET OMR शीट विवाद याचिका खारिज की

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक 22 वर्षीय मेडिकल की छात्रा दुडे़कुला शमीरा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) पर NEET परीक्षा की उनकी OMR उत्तर पत्रक में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रवि चेमलापाटी की खंडपीठ ने 21 जुलाई 2025 को सुनाया।

Read In English

शमीरा ने रिट याचिका संख्या 14243/2025 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर करते हुए मांग की थी कि उनकी अंगूठे की छाप और हस्तलिपि का मिलान विवादित OMR शीट से कराया जाए। उनका दावा था कि परीक्षा के बाद उन्हें जो OMR शीट ईमेल और डाक द्वारा भेजी गई, वह उनकी नहीं थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी 180 प्रश्न हल किए थे और 171 उत्तर सही थे, लेकिन मिली OMR शीट में केवल 11 प्रश्न हल दिखाए गए, जिनमें सिर्फ दो ही सही थे।

Read Also:-आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों के आवास पर अधीनस्थ कर्मचारियों को घरेलू कार्य सौंपने को सही ठहराया

याचिकाकर्ता के वकील टी. सूर्यनारायण ने आरोप लगाया कि उनकी OMR शीट को फर्जी हस्ताक्षरों और अंगूठे की छाप से बदल दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में की गई शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

NTA की ओर से केंद्र सरकार के वकील वाई.वी. अनिल कुमार ने जवाब में सभी आरोपों को नकारते हुए बताया कि परीक्षा पूरी तरह सुरक्षित प्रणाली के तहत आयोजित की गई थी। उन्होंने बताया कि शमीरा को टेस्ट बुकलेट कोड 48 और उत्तर पत्रक संख्या 116459984 दिया गया था, जिसमें उनका नाम, रोल नंबर, हस्ताक्षर और अंगूठे की छाप दर्ज थी। पर्यवेक्षकों द्वारा सभी दस्तावेजों की पुष्टि भी की गई थी।

Read Also:-तुहिन कुमार गेडेला आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए

अदालत ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत विभिन्न दस्तावेजों पर किए गए हस्ताक्षरों में अंतर पाया, लेकिन यह माना कि परीक्षा जैसी स्थिति में हस्ताक्षर में भिन्नता सामान्य हो सकती है।

खंडपीठ ने कहा, हस्ताक्षर में असमानता, विशेष रूप से परीक्षा के समय की मानसिक स्थिति के कारण, छेड़छाड़ का प्रमाण नहीं मानी जा सकती।

इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने परीक्षा केंद्र के स्टाफ पर कोई दुर्भावना या कदाचार का आरोप नहीं लगाया, जिससे उनका दावा और भी कमजोर हो गया।

Read Also:-आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने छात्रा की NEET OMR शीट गड़बड़ी याचिका खारिज की

अंत में अदालत ने कहा कि याचिका में कोई मेरिट नहीं है और इसे खारिज कर दिया गया। साथ ही सभी लंबित अर्जियां भी बंद कर दी गईं।

मामले का विवरण :
मामला संख्या: रिट याचिका संख्या: 14243/2025
मामले का शीर्षक: दुडे़कुला शमीरा बनाम भारत संघ