इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सोमवार को ई-कॉमर्स से जुड़े एक पुराने लेकिन अहम टैक्स विवाद की सुनवाई हुई। मामला Instakart Services Pvt. Ltd. और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एंट्री टैक्स को लेकर है।
सुनवाई के दौरान अदालत का रुख सख्त दिखा, खासकर उस फैसले पर जिसमें विभाग ने लंबित मामले के बावजूद बैंक गारंटी भुना ली।
मामले की पृष्ठभूमि
यह विवाद वर्ष 2016 का है, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने U.P. Act No. 18 of 2016 के जरिए ऑनलाइन खरीद और ई-कॉमर्स लेन-देन पर एंट्री टैक्स लगाने का प्रावधान किया।
Instakart ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि राज्य सरकार के पास ऐसा नया टैक्स लगाने की कानूनी क्षमता (legislative competence) नहीं है।
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दिसंबर 2016 में हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कंपनी को टैक्स के बदले बैंक गारंटी जमा करने का आदेश दिया था। उसी आदेश के तहत 2016-17 और 2017-18 के लिए करीब ₹19 करोड़ से अधिक की बैंक गारंटी दी गई।
हालांकि मामला नौ वर्षों से लंबित रहा। इस बीच GST कानून लागू हो गया, जो ई-कॉमर्स लेन-देन को कवर करता है। इसके बावजूद हाल ही में विभाग ने पुरानी बैंक गारंटी भुना ली, जिससे विवाद फिर से तेज हो गया।
याचिकाकर्ता की दलील
Instakart की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि-
- बैंक गारंटी केवल अंतरिम व्यवस्था थी
- बिना अंतिम निर्णय के गारंटी भुनाना अदालत के आदेश का उल्लंघन है
- इसी कारण अवमानना याचिका भी दाखिल की गई है
वकील ने कहा,
“जब मामला अभी कोर्ट में लंबित है, तब एकतरफा कार्रवाई न्यायसंगत नहीं है।”
अदालत की टिप्पणी
न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और सैयद क़मर हसन रिज़वी की पीठ ने राज्य सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई।
अदालत ने कहा कि-
“नौ साल पुराने मामले में राज्य की ओर से इस तरह की लापरवाही बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि-
- इतने वर्षों तक एडवोकेट जनरल को समय पर केस फाइल नहीं दी गई
- कोई नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया
- राज्य की मुकदमेबाजी का तरीका बेहद असंतोषजनक है
हाईकोर्ट ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया-
- डिप्टी कमिश्नर (असेसमेंट), लखनऊ – यह बताने के लिए कि बैंक गारंटी क्यों भुनाई गई
- विशेष सचिव, संस्थागत वित्त विभाग – यह स्पष्ट करने के लिए कि एडवोकेट जनरल को समय पर फाइल क्यों नहीं दी गई
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कोर्ट का आदेश
सुनवाई के अंत में अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया-
- वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 की टैक्स मांग पर यथास्थिति (Status Quo) बनी रहेगी
- अगली सुनवाई तक कोई नई वसूली नहीं होगी
- अगली तारीख: 08 जनवरी 2026, दोपहर 2:15 बजे
Case Title: Instakart Services Pvt. Ltd. vs State of Uttar Pradesh
Case No.: Writ-C No. 29277 of 2016 (with connected matters)
Case Type: Writ Petition (Tax / Constitutional Challenge)
Decision Date: December 1, 2025















