सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक नई जनहित याचिका को चुपचाप लंबे समय से चल रहे प्रकाश सिंह पुलिस सुधार मामले के साथ जोड़ दिया। यह मामला करीब तीन दशकों से भारत में पुलिस व्यवस्था पर बहस की दिशा तय करता रहा है। सुनवाई भले ही संक्षिप्त रही, लेकिन पीठ का संकेत साफ था-अब अलग-अलग याचिकाओं को अलग-थलग तरीके से नहीं देखा जाएगा।
कोर्ट नंबर 1 में वकीलों की भीड़ के बीच मुख्य सवाल यही था कि नई याचिका में उठाई गई चिंताओं को क्या मौजूदा मामले के ढांचे में ही सुलझाया जा सकता है, या फिर एक और समानांतर मुकदमे की जरूरत है।
Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो डिजिटल अरेस्ट मामले में आरोपी का नाम सुधारा, खुले न्यायालय में मौखिक उल्लेख
पृष्ठभूमि
प्रकाश सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ मामला वर्ष 1996 में दायर किया गया था, जिसके तहत पुलिस को राजनीतिक दखल से बचाने और जवाबदेही बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक निर्देश दिए गए थे। लेकिन सालों बीतने के बावजूद, राज्यों द्वारा इन निर्देशों के अधूरे और चुनिंदा पालन की शिकायतें सामने आती रहीं, जिससे यह मामला आज तक जीवित है।
वर्तमान रिट याचिका में भी इसी तरह की चिंताएं उठाई गई थीं। हालांकि, कोर्ट ने इसे स्वतंत्र मामला मानने के बजाय कहा कि ऐसे मुद्दे पहले से ही जुड़े हुए मामलों के समूह में विचाराधीन हैं, जिनका प्रमुख मामला प्रकाश सिंह है। वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन इस पूरे प्रकरण में न्यायालय के मित्र (एमिकस क्यूरी) के रूप में लगातार सहायता कर रहे हैं।
न्यायालय की टिप्पणियां
अदालत में दर्ज की गई दलीलों का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि उठाया गया मुद्दा “पहले से ही विचाराधीन” है। कोर्ट ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि एमिकस क्यूरी ने पहले एक आवेदन दाखिल कर मुख्य फैसले के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सुझाव दिए थे।
महत्वपूर्ण बात यह रही कि एमिकस ने अदालत को बताया कि नई याचिका में उठाई गई चिंताओं को “पूरक और ताजा सिफारिशों” के माध्यम से कवर किया जाएगा। पीठ इस दृष्टिकोण से संतुष्ट नजर आई, जिससे यह साफ संकेत मिला कि अदालत दोहराव के बजाय समेकित समाधान चाहती है।
कोर्ट की ओर से कोई लंबी मौखिक टिप्पणी नहीं आई, लेकिन आदेश से यह झलक साफ थी कि प्रणालीगत सुधारों को एक ही मंच पर सुलझाना ज्यादा व्यावहारिक माना जा रहा है।
निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मुख्य मामला रिट याचिका (सिविल) संख्या 310/1996 (प्रकाश सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ) और उससे जुड़े सभी मामलों को आगे की सुनवाई के लिए 4 फरवरी 2026 को दोपहर 2:00 बजे सूचीबद्ध किया जाए। इसके साथ ही वर्तमान याचिका को भी उसी प्रक्रिया में जोड़ दिया गया।
Case Title: Prakash Singh & Ors. v. Union of India
Case No.: Writ Petition (Civil) No. 310 of 1996 (with connected W.P.(C) No. 687 of 2024)
Case Type: Public Interest Litigation (PIL)
Decision Date: 15 December 2025









