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बिहार में रजिस्ट्री से पहले म्यूटेशन प्रमाण की अनिवार्यता रद्द: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्वामित्व प्रमाण के बिना रोक नहीं

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में रजिस्ट्री से पहले म्यूटेशन प्रमाण अनिवार्य करने वाला नियम रद्द किया। अदालत ने इसे अवैध और मनमाना बताया।

बिहार में रजिस्ट्री से पहले म्यूटेशन प्रमाण की अनिवार्यता रद्द: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्वामित्व प्रमाण के बिना रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार की उस नियमावली को रद्द कर दिया, जिसमें संपत्ति की बिक्री या उपहार के रजिस्ट्रेशन से पहले विक्रेता को जमाबंदी या होल्डिंग नंबर का प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया था। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिंह और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने माना कि राज्य ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर यह शर्त लागू की, जिससे आम नागरिकों के लिए भूमि लेन-देन अनावश्यक रूप से कठिन हो गया।

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पृष्ठभूमि

2019 में बिहार ने रजिस्ट्रेशन नियमों में संशोधन कर नियम 19 में (xvii) और (xviii) उप-नियम जोड़ दिए। इनके अनुसार ग्रामीण जमीन के मामलों में जमाबंदी प्रमाण और शहरी संपत्तियों में होल्डिंग नंबर का प्रमाण न होने पर रजिस्ट्रार दस्तावेज़ के रजिस्ट्रेशन से इनकार कर सकता था।

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कई भूमि मालिकों ने इस नियम को चुनौती दी। उनका कहना था कि म्यूटेशन (जमाबंदी/होल्डिंग) स्वामित्व का प्रमाण नहीं होता, बल्कि यह सिर्फ राजस्व वसूली का रिकॉर्ड है। साथ ही, बिहार में अभी तक भूमि सर्वेक्षण और नए राजस्व अभिलेखों का काम पूर्ण रूप से नहीं हुआ, जिससे वास्तविक मालिकों के लिए म्यूटेशन प्रमाण हासिल करना बहुत कठिन है।

पटना हाईकोर्ट ने पहले इस नियम को सही ठहराया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

अदालत की टिप्पणियाँ

पीठ ने पहले से मौजूद अस्वीकृति के आधारों और नए जोड़े गए उप-नियमों की तुलना की। पहले के नियमों में रजिस्ट्रेशन से इनकार सिर्फ उन स्थितियों में संभव था, जब दस्तावेज़, हस्ताक्षर, पहचान या संपत्ति के विवरण पर संदेह हो।

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लेकिन नए उप-नियमों ने पहली बार स्वामित्व के प्रमाण को रजिस्ट्रेशन की शर्त बना दिया।

पीठ ने स्पष्ट कहा:

“यह कानून दस्तावेज़ के पंजीकरण से संबंधित है, स्वामित्व सिद्ध करने से नहीं।”

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की वास्तविक ज़मीनी स्थिति का भी उल्लेख किया:

  • अधिकांश जमाबंदी अब भी कई पीढ़ियों पुराने नामों में दर्ज है,
  • सर्वेक्षण और सेटलमेंट प्रक्रिया अभी भी जारी है,
  • म्यूटेशन कभी भी स्वामित्व का निर्णायक प्रमाण नहीं होता; स्वामित्व विवाद सिर्फ दीवानी अदालत तय करती है।

इसलिए, रजिस्ट्रेशन से पहले म्यूटेशन प्रमाण मांगना नागरिकों की संपत्ति बेचने और खरीदने की स्वतंत्रता को अनुचित रूप से बाधित करता है।

आधुनिक सुधार के संदर्भ में अदालत ने यह भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि भविष्य में ब्लॉकचेन आधारित प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन एक विश्वसनीय दिशा बन सकता है।
पीठ ने कहा,

“हमें ऐसे सिस्टम की ओर बढ़ना चाहिए जिसमें रजिस्ट्री स्वयं स्वामित्व का भरोसेमंद प्रमाण बन सके।”

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट का फैसला रद्द किया और Bihar Registration Rules में किए गए 2019 संशोधन (Rule 19(xvii) और (xviii)) को अवैध और मनमाना घोषित करते हुए संपूर्णतः निरस्त कर दिया।

पीठ ने कहा कि म्यूटेशन प्रमाण को रजिस्ट्रेशन की पूर्व-शर्त बनाना अवैध, अप्रयोज्य और अनुचित बोझ है, खासकर जब बिहार में म्यूटेशन व्यवस्था स्वयं अधूरी है।

अपील स्वीकार की गई। किसी भी पक्ष को लागत नहीं।

Case Title: Samiullah v. State of Bihar (2025) – Mutation Proof Requirement for Property Registration Struck Down

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice P.S. Narasimha and Justice Joymalya Bagchi

Issue: Validity of 2019 amendments to Rule 19 of Bihar Registration Rules requiring sellers to produce Jamabandi/Holding Mutation Proof before registration of sale/gift deeds.

Date of Judgment: 6 November 2025

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