सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबे समय से चल रहे वैवाहिक विवाद में महिला को दी गई स्थायी भरण-पोषण राशि को बढ़ाकर 15 लाख रुपये से 50 लाख रुपये कर दिया है। यह राशि एकमुश्त समझौते के रूप में दी जाएगी। यह फैसला एम.वी. लीलावती द्वारा अपने पूर्व पति डॉ. सी.आर. कुमारा स्वामी के खिलाफ दायर अपील में आया।
दोनों का विवाह फरवरी 2009 में हुआ था, लेकिन जल्द ही रिश्तों में तनाव आ गया। वर्ष 2011 में पति ने पारिवारिक न्यायालय में मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दायर की, जबकि पत्नी ने इसका विरोध करते हुए दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना की मांग की। कार्यवाही के दौरान पत्नी को पहले 10,000 रुपये प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण मिला, जिसे बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट ने बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया।
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वर्ष 2015 में पारिवारिक न्यायालय ने तलाक का डिक्री पारित किया और 15 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण के रूप में तय किए। दोनों पक्षों ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 2022 में तलाक और भरण-पोषण की राशि बरकरार रखी गई। असंतुष्ट पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अधिक आर्थिक सहायता की मांग की।
दोनों पक्षों की आय और संपत्ति का आकलन करने के बाद, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा:
"उत्तरदाता डॉक्टर होने के नाते पर्याप्त आय अर्जित कर रहे हैं, वहीं अपीलकर्ता भी एम.टेक और एलएल.बी. डिग्री धारक हैं। अपीलकर्ता की ज़रूरतें और उत्तरदाता की क्षमता को ध्यान में रखते हुए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।"
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अदालत ने माना कि पहले तय की गई राशि पत्नी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं है और आदेश दिया कि पति सितंबर 2025 से शुरू होकर पाँच मासिक किस्तों में कुल 50 लाख रुपये का भुगतान करे।
इस आदेश के साथ तलाक की पुष्टि हो गई है और विवाह से जुड़े सभी विवादों का अंतिम निपटारा हो गया है।
केस का शीर्षक: एम.वी. लीलावती बनाम डॉ. सी.आर. स्वामी @ डॉ. सी.आर. कुमार स्वामी