सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उत्तन में स्थित बाले शाह पीर दरगाह के ढांचे को ध्वस्त करने के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। यह आदेश भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने 19 मई 2025 को जारी किया।
यह निर्देश उस याचिका के जवाब में दिया गया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने विध्वंस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि "कोई तात्कालिकता नहीं दिखाई गई है।" हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपील की सुनवाई के दौरान अगले चार सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया।
"चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करें। दस्ती अनुमति है। महाराष्ट्र के स्थायी वकील को सेवा दें। अगली तारीख तक यथास्थिति बनी रहेगी।" — सुप्रीम कोर्ट आदेश
दरगाह ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विनय नवारे ने बताया कि महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बवनकुले ने दरगाह परिसर में कथित अवैध निर्माण को 20 मई से पहले ध्वस्त करने का आदेश दिया था। यह निर्देश राज्य विधान परिषद की कार्यवाही में विधायक निरंजन डावखरे द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के जवाब में दिया गया था।
दरगाह ट्रस्ट पर मुख्य आरोप यह है कि उसने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है, जिसमें उत्तन के चौक जेटी क्षेत्र में संरक्षित मैंग्रोव बेल्ट शामिल हैं। ट्रस्ट ने इन आरोपों का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगी है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मयंक पांडे और प्रशांत पांडे भी पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने अब चार सप्ताह तक विध्वंस पर रोक लगाकर अस्थायी राहत प्रदान की है और आगे की सुनवाई तय की है।
केस विवरण: बलेपीर शाह चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य | W.P.(C) संख्या 517/2025