तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट द्वारा तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (TASMAC) मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तलाशी के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है।
यह मामला राज्य में ₹1000 करोड़ के कथित शराब घोटाले से जुड़ा है। ईडी ने मार्च में तलाशी अभियान चलाया था, जो कि सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) द्वारा दर्ज 41 एफआईआर के आधार पर किया गया था। इन एफआईआर में आरोप लगाया गया कि डिस्टिलरी कंपनियों ने बेहिसाब नकद राशि को अवैध रूप से TASMAC से ज्यादा शराब आपूर्ति आदेश प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया। यह भी आरोप लगाए गए कि TASMAC के अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त थे और इसके खुदरा स्टोर निर्धारित अधिकतम मूल्य (MRP) से अधिक राशि वसूल रहे थे।
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23 अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने तमिलनाडु सरकार और TASMAC द्वारा ईडी की तलाशी के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी खारिज किया कि तलाशी के दौरान TASMAC कर्मचारियों को प्रताड़ित किया गया।
“तलाशी और औचक निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों को रोका जाना प्रक्रिया का हिस्सा है ताकि साक्ष्य नष्ट न हो। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आरोप बाद की सोच प्रतीत होते हैं,” कोर्ट ने कहा।
जब मामला हाईकोर्ट में लंबित था, तब तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल कर इस मामले को मद्रास हाईकोर्ट से ट्रांसफर करने की मांग की थी। हालांकि, उस समय सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
हाल ही में, ईडी ने तमिलनाडु में कई स्थानों पर नई तलाशी अभियान चलाया, जिनमें TASMAC के प्रबंध निदेशक एस. विसाकन और फिल्म निर्माता आकाश भास्करन के घर शामिल थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, TASMAC के एमडी से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की गई।
हाईकोर्ट में प्रस्तुतियां
TASMAC ने कोर्ट में दलील दी कि ईडी बिना किसी ठोस आधार के "मनमाना और अनुमान आधारित" जांच कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी ने कार्यवाही की वैधता साबित करने के लिए कोई उचित कारण नहीं बताया और यह पूरी कार्रवाई आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से जुड़ी हुई है ताकि संबंधित लोगों की छवि खराब की जा सके।
दूसरी ओर, ईडी ने कहा कि TASMAC अधिकारियों के खिलाफ रिश्वत लेने, शराब की कीमतें बढ़ाने और कर्मचारियों की पोस्टिंग और तबादलों में हेरफेर के संबंध में कई एफआईआर दर्ज हुई हैं। एजेंसी ने यह भी तर्क दिया:
“संदेह तलाशी का वैध आधार हो सकता है। कोर्ट इस प्रारंभिक चरण में हस्तक्षेप नहीं कर सकता या तलाशी के लिए चुनी गई जगहों पर सवाल नहीं उठा सकता।”
अब कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में पहुंचेगी, जहां तमिलनाडु सरकार मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी, जिसने ईडी की कार्यवाही को सही ठहराया था।
केस का शीर्षक: तमिलनाडु राज्य बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 007958/2025