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ईएलवी ईंधन आपूर्ति दंड के खिलाफ पेट्रोल पंपों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Shivam Y.
ईएलवी ईंधन आपूर्ति दंड के खिलाफ पेट्रोल पंपों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन द्वारा दायर एक रिट याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में उन आदेशों को चुनौती दी गई है जिनके तहत पेट्रोल या डीजल को एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल्स (ELVs) को आपूर्ति करने पर पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

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ELVs वे वाहन होते हैं जो पेट्रोल चालित होने पर 15 वर्ष और डीजल चालित होने पर 10 वर्ष से अधिक पुराने होते हैं। यह प्रतिबंध 1 जुलाई 2025 से लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण और ट्रैफिक को नियंत्रित करना है।

यह सूची दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार एवं अन्य (डब्ल्यू.पी.(सी) 8855/2025) शीर्षक से मापी गई थी, दायरा जस्टिस मिनियन पिल्लना ने की। उन्होंने सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 8 सितंबर 2025 को होगी।

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“यदि याचिकाकर्ताओं के किसी सदस्य को 23 अप्रैल 2025 की डायरेक्शन नंबर 89 के तहत दंडित किया जाता है, तो उन्हें यह तथ्य कोर्ट के संज्ञान में लाने की स्वतंत्रता दी जाती है।”
— जस्टिस मिनी पुष्कर्णा

एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि उन्हें डायरेक्शन नंबर 89, जो ELVs को ईंधन आपूर्ति पर रोक लगाता है, से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन उन्होंने यह आपत्ति जताई है कि इस नियम को लागू करने की जिम्मेदारी पेट्रोल पंप मालिकों और उनके स्टाफ पर डाल दी गई है, जबकि उनके पास इसे लागू करने की ना तो कानूनी शक्ति है और ना ही प्रशिक्षण।

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“एसओपी ने ईंधन स्टेशन मालिकों पर अत्यधिक, तर्कहीन और अनुपातहीन ज़िम्मेदारी डाल दी है, जिससे वे छोटी सी चूक पर भी दंड के पात्र बन सकते हैं।”
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत

उन्होंने 13 मई 2025 के आदेश और 17 जून 2025 को जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के पैरा 4.2.5, 4.2.7 और 5.1 को भी चुनौती दी है, जिनके तहत मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 192 के तहत पेट्रोल पंप मालिकों को दंडित करने की व्यवस्था है।

वकील ने कोर्ट को बताया कि यह आदेश मनमाने, तर्कहीन, असंगत और अनुपातहीन हैं, क्योंकि इसमें उन कार्रवाइयों पर भी दंड का प्रावधान है जो पूरी तरह से पंप स्टाफ के नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं।

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“हमारे मुवक्किल इस नीति के उद्देश्यों के साथ सहयोग करने को पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन मौजूदा व्यवस्था उन्हें ऐसी विफलताओं के लिए ज़िम्मेदार ठहराती है जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।”
— पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के वकील द्वारा कोर्ट में तर्क

कोर्ट ने एसोसिएशन को यह स्वतंत्रता भी दी है कि यदि पॉलिसी के तहत कोई दंडित होता है, तो वह कोर्ट में पुनः यह मुद्दा उठा सकते हैं।

फिलहाल मामले की सुनवाई जारी है और अब सभी की निगाहें दिल्ली सरकार के जवाब पर टिकी हैं जो हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।

केस विवरण: दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और अन्य डब्ल्यू.पी.(सी) 8855/2025